उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत के मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। नारायण हरि साकार उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरजपाल के वकील एपी सिंह ने दावा किया है कि श्रद्धालुओं में कुछ लोगों के पास जहरीले स्प्रे थे। उन्होंने वहाँ पर इस्तेमाल किया तो लोगों को साँस लेने में दिक्कत हुई और फिर भगदड़ मची। यह बात भी सामने आई है कि घटना के दिन जानबूझकर श्रद्धालुओं के भीड़ के बीच से सूरजपाल की गाड़ी निकाली गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि हाथरस हादसे के जरिए नारायण हरि के सत्संग को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि सत्संग के दौरान 10 से 15 अज्ञात लोगों ने कमर पर जहरीला नशीला स्प्रे बाँधकर लोगों के ऊपर स्प्रे किया था। इसकी वजह से लोग बेहोश होते रहे और दम घुटने से मौत हुई। उन्होंने चरणरज की वजह से भगदड़ की घटना को नकार दिया।
एपी सिंह के मुताबिक, एक अज्ञात सफेद स्कॉर्पियो और एक काली स्कॉर्पियो पंडाल से कुछ दूरी पर खड़ी थी। घटना के बाद स्प्रे करने वाले लोग भाग गए थे। उन्होंने कहा कि यह बात उन्हें 3-4 लोगों ने बताई है। ये सभी लोग उस दिन घटनास्थल पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वे इन लोगों के बयान भी एसआईटी और प्रशासन के सामने दर्ज करवाएँगे।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के लिए पुलिस और प्रशासन द्वारा अनुमति दी गई थी। इतना ही कार्यक्रम के लिए प्रशासन को नक्शा भी दिया गया था, जिसके आधार पर परमिशन मिली थी। वकील एपी सिंह ने स्थानीय प्रशासन से उस दिन की टोल तक के पास वाले सीसीटीवी संरक्षित करने की माँग की है।
उधर, हाथरस पुलिस का कहना है कि सेवादारों ने जानबूझकर भोले बाबा की गाड़ी को श्रद्धालुओं के भीड़ के बीच से निकाली थी। वे सेवादार जानते थे कि अगर ऐसा हुआ तो बाबा चरणरज के लिए श्रद्धालुओं में भगदड़ मच सकती है। इसके बावजूद उन्होंने ऐसा किया। पुलिस इस ऐंगल से मामले की जाँच कर रही है कि किसी के कहने पर तो सेवादारों ने जानबूझकर ऐसा तो नहीं किया था।
दरअसल, पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर के संपर्क में एक राजनीतिक दल था। इतना ही नहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस बात की आशंका जता चुके हैं कि यह साजिश हो सकती है। इसके बाद पुलिस और SIT इस मामले की प्रमुखता से जाँच कर रही है। इसके साथ ही इसके फंडिंग के स्रोतों की भी जाँच की जा रही है।