RBI ने खोली सम्भावनाएँ: PM मोदी ने बताया उद्योग-कृषि के लिए बेहतरीन अवसर, शाह ने कहा- कोई कसर नहीं छोड़ेंगे

RBI गवर्नर ने कहा कि वैश्विक मंदी की आशंका के बीच भारत की विकास दर अब भी सकारात्मक रहने का अनुमान है

COVID-19 वायरस के संक्रमण के कारण चालू वित्तीय वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर के मात्र 1.9% रहने का अनुमान जताते हुए RBI गवर्नर ने प्रेस वार्ता में शुक्रवार (अप्रैल 17, 2020) को रिवर्स रेपो दर में कमी करते हुए अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए कुछ प्रमुख उपायों की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि नकदी (Cash) की कमी नहीं होने दी जाएगी।

इस दौरान आरबीआई (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रेस वार्ता कर वित्तीय संस्थाओं के साथ ही रेपो रेट और लोन जैसे विषयों पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आरबीआई कोरोना वायरस को लेकर सतर्क है और रिजर्व बैंक इसकी करीबी से निगरानी कर रहा है।

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RBI गवर्नर ने कहा कि वैश्विक मंदी के अनुमान के बीच भारत की विकास दर अब भी सकारात्मक रहने का अनुमान है और IMF के मुताबिक यह 1.9% रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि G-20 इकोनॉमी में भारत की जीडीपी ग्रोथ सबसे बेहतर रहने की उम्‍मीद है।

शक्तिकांत दास ने नाबार्ड (NABARD) को 25 हजार करोड़ देने का ऐलान किया। हाउसिंग सेक्टर को 10 हजार करोड़ रुपए देने का ऐलान किया गया। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरे दौर में है।

लिक्विडिटी मैनेजमेंट के लिए RBI देगा 50,000 करोड़ रुपए

टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशंस (TLTRO) के तहत 50,000 करोड़ रुपए की मदद एमएफआई (MFI) और एनबीएफसी (NBFC) को जारी की जाएगी। इस तरह से आरबीआई TLTRO के जरिए सिस्‍टम में 50,000 करोड़ रुपए डालेगा।

MSME उद्योगों के लिए धनराशि पर PM मोदी ने की तारीफ

RBI ने छोटे और मध्यम उद्योगों को धनराशि देने का फैसला किया है। शक्तिकांत दास ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि बैंकों को अपने फंड का 50% TLTRO-2 के तहत छोटे और मध्यम साइज NBFC में निवेश करना होगा। वहीं राज्यों को लॉकडाउन के बाद आर्थिक संकट से निकालने के लिए WMA लिमिट को 60% तक बढ़ा दिया गया है। बढ़ी हुई लिमिट 30 सितंबर तक के लिए होगी।

इस फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरबीआई की तारीफ करते हुए ट्वीट में लिखा है –

“आज के आरबीआई के फैसले देश में काफी अच्छी तरह लिक्विडिटी को बढ़ाएँगे और क्रेडिट सप्लाई में सुधार आएगा। ये कदम हमारे छोटे कारोबारों, एमएसएमई, किसानों और गरीबों को मदद करेंगे। इसके अलावा WMA सीमा बढ़ाने से हमारे सभी राज्यों को भी मदद मिल पाएगी।”

वहीं नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी कहा था कि आरबीआई ने बैंकों को एक बार फिर से प्रोत्साहित किया है कि वो आरबीआई के पास अपना पैसा न रखकर उद्योगों और लोगों को कर्ज दें, जिससे इस संकट की स्थिति में देश की इकोनॉमी को थोड़ा सहारा मिल सके।

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा की गई कुछ प्रमुख घोषणाएँ

  1. रिवर्स रेपो रेट 0.25% से घटाकर 3.75% कर दी गई।
  2. रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह 4.4% पर स्थिर है।
  3. TLTRO 2.0 की शुरुआत 50 हजार करोड़ रुपए से की है। जरूरत पड़ने पर इसे 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा भी बढ़ाया जा सकता है।
  4. TLTRO 2.0 के तहत आरबीआई ने एमएफआई और एनबीएफसी को 50 हजार करोड़ रुपए की मदद का एलान किया।
  5. कोरोना वायरस महामारी के कारण सामने आई वित्तीय कठिनाइयों के चलते बैंक आगे किसी लाभांश का भुगतान नहीं करेंगे।
  6. आरबीआई ने नाबार्ड को 25 हजार करोड़ रुपए, SIDBI को 15 हजार करोड़ रुपए और नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) को 10 हजार करोड़ रुपए देने का एलान किया है।
  7. NBFC द्वारा रियल एस्टेट कंपनियों को दिए गए कर्ज पर भी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज की तरह ही समान लाभ उपलब्ध होंगे।
  8. देश के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है। हालाँकि, मार्च में देश के निर्यात के हालात बेहद खराब रहे हैं। फॉरेक्स रिजर्व अभी 476.5 अरब है।
  9. G-20 देशों में भारत की स्थिति बेहतर रहेगी।
  10. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर 1.9% रहने का अनुमान है।
  11. वैश्विक अर्थव्यवस्था में नौ खरब डॉलर का नुकसान हो सकता है, जो जापान और जर्मनी की जीडीपी के बराबर हो सकता है।
  12. बैंकों द्वारा मौजूदा ऋणों की वापसी पर लगाई गई रोक पर 90 दिन का एनपीए नियम लागू नहीं होगा।
  13. देश में बैंकिंग कारोबार सामान्य बनाए रखने की कोशिश जारी है। वित्तीय संस्थानों ने विशेष तैयारी की है।
  14. देश में 91% ATM काम कर रहे हैं। लॉकडाउन में मोबाइल और नेट बैंकिंग में कोई परेशानी नहीं है।
  15. प्रोडक्शन सेक्टर्स में हालात काफी खराब हैं, जो आईआईपी के आँकड़ों में शामिल नहीं है। कोरोना वायरस का असर अभी आईआईपी के आँकड़ों में शामिल नहीं है, इसलिए आंकड़ों से किसी तरह की गलतफहमी नहीं होनी चाहिए।
  16. लॉकडाउन के बावजूद कृषि क्षेत्र में बुवाई की स्थिति बेहतर रही है।

क्या है रिवर्स रेपो रेट घटाने का मकसद

रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। यह बाजारों में नकदी की तरलता (Cash Flow) को नियंत्रित करने में काम आती है। ऐसे में आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में कमी करने के बाद अब बैंकों को आरबीआई में पैसा रखने की जरूरत नहीं है। जिसका अर्थ है कि कारोबार के लिए और अन्य आर्थिक उपक्रमों में इन्वेस्टमेंट के लिए अब बाजार में अधिक धन उपलब्ध रहेगा। जिससे यह नए उद्योग और रोजगार के लिए बेहतर सम्भावनाएँ तैयार करेगा। रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कमी की गई है, यह अब 3.75% पर आ गया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रिजर्व बैंक की घोषणाओं के बारे में कहा है कि मोदी सरकार कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, जिससे आने वाले दिनों में एक मजबूत और स्थिर भारत को बनाते समय लोगों के जीवन में कम से कम व्यवधान सुनिश्चित हो सके। भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई द्वारा आज उठाए गए कदम, पीएम मोदी के विजन को और मजबूत करते हैं।

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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा – “मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए RBI ने नाबार्ड को 20,000cr क्रेडिट सुविधा देने का फैसला किया, SIDBI को 15,000cr करने से हमारे किसानों को बहुत मदद मिलेगी, MSMEs और स्टार्ट अप्स को बहुत आवश्यक वित्तीय स्थिरता मिलेगी।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया