बिहार की राजधानी पटना से सटे फुलवारी शरीफ में आतंकी ट्रेनिंग चल रही थी। इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े आतंकी 2047 तक भारत को इस्लामी मुल्क बनाने के मिशन पर काम कर रहे थे। इस खुलासे के बाद पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने आश्चर्यजनक तौर पर पीएफआई की तुलना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से कर दी।
इस बयान पर विवाद खड़ा होने के बाद पुलिस मुख्यालय ने गुरुवार (14 जुलाई 2022) को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर 48 घंटे के भीतर जवाब माँगा है। बीजेपी ने उनकी फौरन बर्खास्तगी की माँग की है। वहीं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ढिल्लों के समर्थन में आगे आई है। ढिल्लों ने कहा था कि जिस तरह से आरएसएस अपनी शाखा ऑर्गेनाइज करते हैं और लाठी की ट्रेनिंग देते हैं। उसी तरह से ये लोग शारीरिक शिक्षा के नाम पर युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे थे।
वैसे यह पहला मौका नहीं है जब ढिल्लों विवादों में हैं। मुंगेर से उन्हें हाई कोर्ट की फटकार के बाद हटाया गया था। दरअसल, 26 अक्टूबर 2020 को मुंगेर में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान फायरिंग में 18 साल के युवक अनुराग पोद्दार की मौत हो गई थी। पीड़ित पिता ने कहा था कि पुलिस की चलाई गोली से उनके बेटे की हत्या की गई। इस मामले में उस समय मुंगेर की एसपी रहीं लिपि सिंह की भूमिका भी सवालों के घेरे में थी। लोगों के आक्रोश को देखते हुए चुनाव आयोग ने डीएम राजेश मीणा और लिपि सिंह को उनके पद से हटा दिया था। ध्यान रहे कि उस समय बिहार में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। अचार संहिता लागू थी।
इसके बाद ढिल्लों को मुंगेर भेजा गया। माना गया कि न केवल लोगों का आक्रोश शांत होगा बल्कि दोषियों पर कार्रवाई भी होगी। लेकिन इस पूरे मामले पर जिस तरह की लीपापोती की कोशिश की गई उस पर 7 अप्रैल 2021 को पटना हाई कोर्ट बेहद सख्त रवैया दिखाया।
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई थी कि अक्टूबर 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक पुलिस जाँच में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। कोर्ट ने जाँच पर असंतोष जताते हुए एसपी मानवजीत समेत कई पुलिस पदाधिकारियों के तबादले का आदेश दिया था। साथ ही पूरे मामले की जाँच हाई कोर्ट की निगरानी में सीआईडी को करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद ढिल्लों का मुंगेर से राज्य सरकार ने तबादला कर दिया था।
ऐसे में ढिल्लों के ताजा बयान के बाद लोग मुंगेर गोलीकांड पर पुलिसिया लीपापोती को याद कर रहे हैं। आशंका जता रहे हैं कि बिहार में बढ़ते इस्लामी कट्टरपंथ और आतंकवाद से ध्यान हटाने के मकसद से तो उन्होंने ऐसा बयान नहीं दिया है। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया था कि फुलवारी शरीफ से गिरफ्तार किए आतंकियों के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे। हालाँकि बिहार पुलिस ने प्रधानमंत्री को सीधे कोई खतरा होने से इनकार किया था। लेकिन यह माना था कि प्रधानमंत्री के बिहार दौरे को लेकर वे अलर्ट पर थे और इसी दौरान इन आतंकियों की गतिविधियों का सुराग हाथ लगा था।