Sunday, November 24, 2024
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‘कस्टडी में पूछताछ का केस नहीं’: सुप्रीम कोर्ट ने MP कृष्णम राजू को दी जमानत, CID पर टॉर्चर करने का है आरोप

YSRCP सांसद कृष्णम राजू आंध्र प्रदेश में धर्मांतरण में लिप्त ईसाई मिशनरियों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी YSRCP के बागी सांसद रघुराम कृष्णम राजू को शुक्रवार (21 मई 2021) को जमानत दे दी। नर्सापुरम के सांसद राजू को आंध्र प्रदेश सीआईडी ने 14 मई 2021 को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। सीआईडी पर उनको हिरासत में प्रताड़ित करने का भी आरोप है।

मजिस्ट्रेट के पास राजू को जब पेश किया गया था तो उनके वकील ने दावा किया था कि उन पर पुलिस ने थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। वकील ने यह भी बताया था कि कुछ महीने पहले ही उनकी बाइपास सर्जरी हुई थी। बाद में सिकंदराबाद के आर्मी अस्पताल में उनकी जाँच हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विनीत सरन और बीआर गवई की वैकेशन बेंच ने YSRCP के सांसद राजू को जमानत देते हुए प्रथम दृष्टि में यह आशंका जताई है कि पुलिस कस्टडी में उनके साथ बुरा बर्ताव हो सकता है। कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि याचिककर्ता (कृष्णम राजू) पर ऐसे आरोप नहीं हैं कि कस्टडी में रखकर पूछताछ की जरूरत हो। चूँकि याचिककर्ता का स्वास्थ्य सही नहीं है और उनकी ओपन हार्ट सर्जरी भी हुई है ऐसे में उन्हें जमानत देने के लिए कोर्ट के पास पर्याप्त कारण हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने राजू को जमानत देते हुए कहा कि उन्हें जाँच में सहयोग देना होगा। साथ ही वह मीडिया को कोई इंटरव्यू नहीं देंगे। राजू को यह भी हिदायत दी गई है कि वे अपनी चोट मीडिया में न दिखाएँ। YSRCP के सांसद कृष्णम राजू की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट द्वारा राजू की मेडिकल रिपोर्ट में अँगूठे में फ्रैक्चर और अन्य चोटों की पुष्टि करने पर एडवोकेट रोहतगी ने कहा कि रिपोर्ट से यह साबित होता है कि राजू को हिरासत में टॉर्चर किया गया है। राजू के साथ हुए बर्ताव पर एडवोकेट रोहतगी ने कोर्ट से संज्ञान लेते हुए सीबीआई जाँच की माँग की। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के डीजीपी के खिलाफ जाँच के लिए भी आवेदन दिया जाएगा।

एडवोकेट रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा भी उठाया कि मजिस्ट्रेट द्वारा मेडिकल जाँच का आदेश दिए जाने के बाद जिस गायनेकोलॉजिस्ट ने कृष्णम राजू की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए हैं, उनके पति राज्य सरकार की लीगल सेल के लीडर हैं। वहीं आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि याचिककर्ता की चोटें खुद बनाई गई हैं या नहीं। कृष्णम राजू पर लगे राजद्रोह के मुकदमे पर एडवोकेट दवे ने कहा कि राजू केवल सरकार की आलोचना तक ही सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि उन्होंने दो समुदायों के बीच घृणा उत्पन्न करने का काम भी किया है।

कृष्णम राजू को जमानत दिए जाने के मुद्दे पर एडवोकेट दवे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून लागू करने और कानूनों की व्याख्या करने के लिए है। राजू के मामले में किसी भी प्रकार से अन्याय नहीं हुआ है। सिर्फ एक ही मुद्दा है जो अपवाद है कि याचिककर्ता एक सांसद हैं।

एडवोकेट दवे ने अखिल गोगोई और उत्तर प्रदेश में बंद सिद्दीकी कप्पन का उदाहरण देते हुए कोर्ट से राजू की जमानत का विरोध किया। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों पर कृष्णम राजू को जमानत दे दी।

गौरतलब है कि राजू को 14 मई की रात 11 बजे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सीआईडी के एडिशनल एसपी ने बताया था कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। YSRCP सांसद कृष्णम राजू आंध्र प्रदेश में धर्मांतरण में लिप्त ईसाई मिशनरियों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं। पूर्व में वे अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से जान का खतरा होने की बात भी कह चुके हैं।

राजू की गिरफ्तारी तब हुई जब उन्होंने 27 अप्रैल को CBI की विशेष अदालत से मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की जमानत रद्द करने की माँग की थी। उन्होंने कहा था कि जगन मोहन रेड्डी ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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