तमिलनाडु में श्री नटराज मंदिर के दीक्षितार को नीचा दिखाने के लिए उनकी नाबालिग बच्चियों के प्राइवेट पार्ट तक छूने की बात सामने आई है। बाल विवाह का आरोप लगाकर उनका वर्जिनिटी टेस्ट किया गया जिसे टू फिंगर टेस्ट भी कहते हैं। इसका खुलासा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) की जाँच में हुआ है
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2022 में तमिलनाडु के नटराज मंदिर के दो दिक्षितार यानी की पुजारी की गिरफ्तारी की खबर आई थी। इन्हें अपने नाबालिग बच्चों का विवाह करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अब यह बात सामने आई है कि ऐसी कोई शादी हुई ही नहीं थी। फिर भी बाल विवाह का आरोप लगाकर बच्चियों को अस्पताल ले जाकर उनका वर्जिनिटी टेस्ट करवाया गया।
इस संबंध में 4 मई को तमिलनाडु के राज्यपाल रविंद्र नारायण रवि ने जानकारी दी थी कि प्रशासन द्वारा चिदंबरम में पोढू दीक्षितार की नाबालिग लड़कियों का जबरन टू फिंगर टेस्ट करवाया जा रहा है ताकि नटराज मंदिर के वंशानुगत पुजारी (पोढू दिक्षितारों) को बदनाम किया जा सके। इस क्रम में पोढू दिक्षिता के खिलाफ बाल विवाह करवाने का मुकदमा भी दर्ज करवाया जा चुका है जबकि जाँच में ऐसे कोई प्रमाण नहीं सामने आए। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने बताया था कि माता-पिता को गिरफ्तार करके छठी, सातवीं की बच्चियों को अस्पताल ले जाकर उनका टू-फिंगर टेस्ट करवाया गया।
गवर्नर के इन आरोपों के मीडिया में आने के बाज तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक सिलेंद्र बाबू और स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यन ने इन्हें नकार दिया था। मगर एनसीपीसीआर ने ऐसे दावे सुनने के बाद खुद इस मामले पर जाँच का फैसला किया। सवाल पूछने पर तमिलनाडु पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने फिर इन दावों का खंडन किया, लेकिन एनसीपीसीआर ने स्वत: संज्ञान लेकर जाँच की पूरी प्रक्रिया शुरू की और तमिलनाडु के मुख्य सचिव इराई अनबू को भी एनसीपीसीआर ने इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
बुधवार को एनसीपीआर सदस्य आनंद जाँच हेतु चिदंबरम पहुँचे और फिर वहाँ से नटराज मंदिर गए। पोढू दीक्षितार से उनके आरोपों के बारे में जाना। फिर वह महिला थाने गए। जाँच अधिकारियों से सवाल किए और उस डॉक्टर से मिले जिन्होंने बच्चियों का टेस्ट किया था।
इसके बाद एनसीपीसीआर के डॉ आरजी आनंद उन लड़कियों के घर गए और माता-पिता समेत सबका इंटरव्यू लिया। आनंद की जाँच में सामने आया कि किसी भी प्रकार की कोई बाल विवाह नहीं हुआ था और उनसे पूरी जाँच में धोखे से स्वीकार करने को कहा गया था। अब इस मामले में रिपोर्ट दो-तीन दिन में एनसीपीसीआर अध्यक्ष को दी जाएगी।
टू फिंगर टेस्ट
बता दें कि टू फिंगर प्रक्रिया साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित की जा चुकी है। इस प्रक्रिया में रेप पीड़िता की योनि में दो अंगुली डालकर चेक किया जाता था कि हाइमन टूटा है या नहीं। कोर्ट ने ऐसी प्रक्रिया पर कहा था। परीक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह महिलाओं को फिर से पीड़ित करता है और फिर से आघात पहुँचाता है। इसके अलावा परीक्षण बलात्कार पीड़ितों के निजता, शारीरिक और मानसिक अखंडता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है।