4000 मदरसे, 60000 बच्चे 1000 करोड़ का सालाना खर्च: तेलंगाना में मदरसों का संचालन मुश्किल में, अब सरकार से अनुदान की माँग

तस्वीर साभार: डेक्कन क्रॉनिकल

कोरोना वायरस के बीच लागू किए गए लॉकडाउन का बड़ा असर तेलंगाना के 4000 मदरसों पर देखने को मिला है। खबर है कि वहाँ कोरोना प्रभाव के कारण रमजान के महीने में मदरसों को मिलने वाली डोनेशन और चैरिटी में भारी गिरावट आई है, जिसके कारण उन्हें संचालित करना मुश्किल हो गया है।

डेक्कन क्रॉनिकल के अनुसार, तेलंगाना में 4000 मदरसे हैं जिनमें करीब 60,000 बच्चों को इस्लाम की शिक्षा दी जाती है और इन्हें निर्बाध सभी सुविधाओं सहित चलाने में सालाना 1000 करोड़ रुपए का खर्चा आता है। 

मगर, अब लॉकडाउन के कारण ये सभी मदरसे बंद होने की कगार पर है। प्रबंधन भी मदरसों के परिचालन को जारी रखने के लिए आवश्यक धन जुटाने में असमर्थ है। इसलिए कहा जा रहा है कि अगर ये लॉकडाउन कुछ और दिन बढ़ता है तो ये भी हो सकता है कि अभिवाहक अपने बच्चों को इन संस्थानों में भेजने से मना कर दें।

राज्य में दीनी शिक्षा प्रदान करने वाला सबसे बड़ा संस्थान जामिया निजामिया है। जहाँ 1000 बच्चे पढ़ते हैं और इसको चलाने में सालाना खर्च 6 करोड़ रुपए का आता है। ऐसे में इन मदरसों के पास कोई नियमित आय का स्रोत नहीं है। इसलिए सरकार की सहायता न मिलने के कारण वे केवल समुदाय द्वारा मिलने वाले चंदे पर ही निर्भर हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, जमियत उल डॉ मुफ्तिया रिजवाना परवीन बताती हैं कि लड़कियों और महिलाओं के लिए बना उनका संस्थान सिर्फ़ समुदाय द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद पर चलता है। समृद्ध मुस्लिम रमजान के माह में जकात देते हैं, जिससे उनका 80 प्रतिशत खर्चा निकल जाता है।

इसके अलावा जकात और दान एकत्रित करने के लिए ये संस्थान अपने कुछ प्रतिनिधियों को अलग-अलग जगह भेजते हैं। वे प्रतिनिधि मस्जिदों के सामने काउंटर लगाते हैं और दान इकट्ठा करते हैं। पर, अब लॉकडाउन के कारण ये प्रक्रिया फॉलो नहीं हो पा रही है।

संस्थान प्रमुख बताती हैं कि, इस लॉकडाउन के कारण अमीर लोगों का ध्यान मदरसों को पैसा डोनेट करने से ज्यादा गरीबों को खाना खिलाने पर घूम गया है।  इसलिए, उनका कहना है कि अब जब लॉकडाउन खत्म होगा, तभी वे अपने व्यापार को चालू करने के लिए कुछ इंतजाम करेंगे।

बता दें, तेलंगाना में इस समय वित्तीय सहायता के अभाव में दीनी शिक्षा प्रदान करने वाले कुछ मदरसे अब बंद होने की कगार पर आ चुके हैं। इसलिए डॉ मुफ्तिया रिजवाना परवीन ने मदरसों के अस्तित्व को बचाने के लिए इस महामारी के समय में भी सरकार से अनुदान और अन्य प्रलोभनों की माँग की है। ताकि उनसे उनके मदरसे चल सकें।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया