तेलंगाना: बाहरी बता मुस्लिम को 6 कब्रिस्तानों ने दफनाने से किया इनकार, हिंदुओं ने श्मशान घाट में दी जगह

खाजा मियॉं को बाहरी बता कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दिया (साभार: India Today)

तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में 55 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद कथित तौर पर 6 कब्रिस्तानों ने उसके शव को दफनाने से इनकार कर दिया। दरअसल, दावा किया गया कि मृतक एक बाहरी व्यक्ति था और उसके कोरोनो वायरस मरीज होने की भी आशंका थी।

इसी बीच क्षेत्र के दो हिंदू संदीप और शेखर शोकाकुल परिवार की मदद के लिए आगे आए। उन्होंने श्मशान घाट में मृतक को दफनाने के लिए जगह उपलब्ध कराई।

मृतक मोहम्मद खाजा मियाँ (55) रंगारेड्डी जिले के गंडमगुडा इलाके में करीब दस साल पहले रहने के लिए आए थे। हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। परिवारवालों ने बताया कि शव लेकर वे लोग नजदीकी कब्रिस्तान पहुँचे। लेकिन यहाँ से उन लोगों को यह कहकर भगा दिया गया कि इससे कोरोना वायरस फैल सकता है।

उसके बाद पीड़ित परिवार शव को लेकर एक के बाद दूसरे, तीसरे और इस तरह से अलग-अलग इलाकों के छह कब्रिस्तान में गए। लेकिन सभी जगह शव को दफनाने से इनकार कर दिया गया। आखिर में इलाके के दो युवक संदीप और शेखर मदद के लिए सामने आए और शव को दफनाने के लिए श्मशान घाट में जमीन उपलब्ध कराई।

परिवारवालों ने बताया कि वे लोग स्थाई तौर पर यहाँ के रहने वाले नहीं हैं, इसलिए उनके समर्थन में कोई नहीं आया। खाजा के बेटे बाशा ने कहा कि हम लोग परेशान हो गए। उम्मीद खो दी कि शायद अब अपने पिता कि लाश दफन नहीं कर पाएँगे, लेकिन उसी समय संदीप और शेखर नाम के दो हिंदुओं ने हमारी मदद की।

वहीं तारीक मुस्लिम शब्बन ने इस मामले को लेकर तेलंगाना स्टेट वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद सलीम से जाकर मुलाकात की है। साथ ही एक ज्ञापन देकर उन मुतवल्लियों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की है, जिन्होंने खाजा के शव को कब्रिस्तान में दफनाने से इनकार कर दिया था।

इस मामले को लेकर तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड ने कब्रिस्तानों की प्रबंध समितियों और देखभाल करने वालों के खिलाफ गंभीर आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी है। मामले पर तेलंगाना वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने कहा कि उन्होंने उन कब्रिस्तानों में टीमें भेजी हैं, जिन्होंने मृतक को दफनाने से इनकार किया था। सलीम ने मुस्लिम मृतक को हिंदू श्मशान घाट में दफनाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रबंध समितियाँ दफनाने से इनकार नहीं कर सकती हैं। भले ही वह कोई कोरोन वायरस से मृत व्यक्ति हो या फिर गैर स्थानीय या एक यात्री ही क्यों न हो। उन्होंने कहा कि कब्रिस्तान किसी कर्मचारी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं हैं और वे किसी भी मुस्लिम को दफनाने से इनकार नहीं कर सकते।

आपको बता दें कि इससे पहले एक ऐसा ही मामला मल्लापुर के एक कब्रिस्तान में सामने आया था, जहाँ पर कब्रिस्तान की देखभाल करने वाले कर्मचारी ने मृतक मुस्लिम व्यक्ति के बाहरी होने का दावा करते हुए दफनाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मृतक सलीमुद्दीन सिद्दीकी के परिजनों ने कॉन्ग्रेस पार्टी के स्थानीय मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की थी, जिसके बाद दूसरे कब्रिस्तान में मुस्लिम व्यक्ति को दफनाने की व्यवस्था की गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया