अप्रैल 13, 2019 को भारतीय इतिहास और ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान घटे जलियाँवाला बाग हत्याकांड के काले अध्याय के 100 वर्ष पूरे हो जाएँगे। इससे पहले इस मामले पर एक नई चर्चा ने आजकल जोर पकड़ा है। कल ही ब्रिटेन के विदेश मंत्री मार्क फील्ड ने हाउस ऑफ कॉमन्स कॉम्प्लेक्स के वेस्टमिंस्टर हॉल में जलियाँवाला बाग हत्याकांड पर आयोजित एक बहस में कहा कि इतिहास में यह एक ‘शर्मनाक प्रकरण’ के रूप में दर्ज है। लेकिन, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान को बार-बार अतीत में खींचने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि बार-बार इस घटना के लिए माफी की माँग ब्रिटिश राज से संबंधित कई दूसरी समस्याओं को पैदा करेगा।
इसके बाद आज (अप्रैल 10, 2019) को ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने ब्रिटिश संसद (हाउस ऑफ़ कॉमन्स) में जलियाँवाला बाग हत्याकांड पर खेद व्यक्त किया है। थेरेसा मे ने कहा, “जो भी हुआ था और उससे लोगों को जो पीड़ा हुई, उसका हमें बेहद अफसोस है।” उन्होंने आगे कहा, “1919 की जालियाँवाला बाग त्रासदी ब्रिटिश-भारतीय इतिहास के लिए शर्मनाक धब्बा है। जैसा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1997 में जालियाँवाला बाग जाने से पहले कहा था कि यह भारत के साथ हमारे बीते हुए इतिहास का दुखद उदाहरण है।”
AFP: British Prime Minister Theresa May in British Parliament today expressed regret for #JallianwalaBaghMassacre; said, “We deeply regret what happened and the suffering caused.” pic.twitter.com/F5CWvDfObg
— ANI (@ANI) April 10, 2019
ब्रिटेन अक्सर अपने औपनिवेशिक अतीत के इस नरसंहार को लेकर माफ़ी माँगने से बचता रहा है। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान, आजादी से पहले के इतिहास में कई ऐसे प्रकरण हैं, जिन पर बात करने में आज तक ब्रिटिश संसद को समय और संसाधनों का दुरुपयोग नजर आता है। ऐसे हालातों में PM थेरेसा द्वारा संसद में जलियाँवाला बाग की घटना पर दुःख प्रकट करना एक पहल मानी जा सकती है।
ब्रिटेन के विदेश कार्यालय के मंत्री मार्क फील्ड ने कल ही एक बयान में कहा, “भारत के साथ समृद्ध संबंधों की पूरी संभावना है और जलियाँवाला बाग पर कोई अलग स्पष्टीकरण इसे विशेष रूप से मजबूती देगा।” जलियाँवाला हत्याकांड दुनिया के सबसे जघन्य नरसंहारों में से एक माना जाता है। इस हत्याकांड में करीब 1000 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 1500 से अधिक लोग घायल हो गए थे, ये वो विवादित आँकड़े हैं जिन्हें तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने जारी किया था।
भारतीय मूल के लेबर सांसद वीरेंद्र शर्मा ने ब्रिटिश प्रधान मंत्री थेरेसा मे से औपचारिक माफी मांँगने का आह्वान किया है। अन्य कई लोगों ने इस माँग का समर्थन किया और जलियाँवाला नरसंहार में जान गँवाने वालों की याद में एक भौतिक स्मारक के निर्माण की संभावना जताई।
100 वर्ष पूरे होने पर ब्रिटिश सरकार पर जलियाँवाला नरसंहार के लिए मोदी सरकार द्वारा ब्रिटेन से माफी माँगने का लगातार दबाव बनाया जा रहा था। अब मोदी सरकार के दौरान कूटनीतिक मामलों पर भारत की सबसे बड़ी जीत देखने को मिली है। विदेश संबंधों का स्वर्णिम समय मोदी सरकार के दौरान देखने को मिला है और पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान जैसे देशों का वैश्विक स्तर पर बहिष्कार देखना इसका एक उदाहरण है। यहाँ तक कि आज सुबह ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बयान दिया कि भारत-पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध मोदी सरकार के दौरान ज्यादा बेहतर हो सकते हैं। शायद इसी कारण से ही इमरान खान ने भाजपा को ही वोट देने की अपील कर डाली है।