कानपुर के हिस्ट्रीशीटर रेहान उर्फ गुड्डू को पकड़ने गई बेकनगंज पुलिस टीम पर आरोपितों के साथियों ने पथराव कर दिया। यहाँ तक कि पुलिस से मुहल्ले के लोग भी भिड़ गए। किसी तरह बेकनगंज थाने के दरोगा व सिपाही वहाँ से जान बचाकर भाग निकले। बता दें कि रेहान डी 80 गैंग का सरगना है।
मामला कानपुर के कर्नलगंज क्षेत्र के गम्मू खाँ के हाते का है। यहाँ टॉप 10 अपराधी को पकड़ने पहुँची पुलिस से लोग भिड़ गए। वहीं महिलाओं ने कपड़े फाड़कर हंगामा किया। अराजक तत्वों ने छतों से पुलिस टीम पर पथराव कर दिया। बवाल की जानकारी पर कई थानों की फोर्स मौके पर पहुँची, लेकिन तब तक हिस्ट्रीशीटर अपने भाइयों के साथ रफूचक्कर हो चुका था।
पुलिस के अनुसार गम्मू खाँ का हाता निवासी रेहान उर्फ गुड्डू शातिर हिस्ट्रीशीटर व टॉप 10 मोबाइल चोर है। उसके भाई भी हिस्ट्रीशीटर हैं। रेहान इन दिनों शुक्लागंज में रहता है। जबकि उसके दो भाई गम्मू खाँ का हाता में रहते हैं और दो अन्य भाई बजरिया थानाक्षेत्र में रह रहे हैं। मोबाइल चोरी व लूट के मामले में बेकनगंज थाने के दारोगा मो. नईम शनिवार (जनवरी 02, 2021) देर शाम दो सिपाहियों सलमान व मुश्ताक के साथ रजाकत को पकड़ने के लिए हाते में पहुँचे।
उन्हें सूचना मिली थी कि रेहान भी भाइयों से मिलने आया है। जैसे ही पुलिस टीम के आने की जानकारी आरोपित के घरवालों को हुई, कई महिलाएँ हाथों में डंडे लेकर पुलिस से भिड़ने लगीं।
यहाँ तक कि कुछ महिलाओं ने कपड़े फाड़कर पुलिस टीम पर ही आरोप लगाने शुरू कर दिए। इसके बाद अचानक छतों से कुछ युवकों ने पत्थर चला दिए। पत्थर चलते ही दारोगा और सिपाही जान बचा कर वहाँ से भागे। उन्होंने बेकनगंज थाना प्रभारी को घटना की जानकारी दी।
इसके बाद बेकनगंज व कर्नलगंज थाने की फोर्स मौके पर पहुँची। हालाँकि इस बीच रजाकत व उसके भाई फरार हो चुके थे। कर्नलगंज सीओ दिनेश कुमार शुक्ला ने बताया कि दारोगा की तहरीर पर आरोपितों के खिलाफ बलवा, सरकारी कार्य में बाधा डालने, मारपीट करने आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
विकास दुबे कांड से कोई सीख नहीं
गौरतलब है कि पिछले दिनों कानपुर के चौबेपुर के बिकरू गाँव में दबिश देने गई पुलिस टीम पर हमला कर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। नक्सलियों की तरह 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या करने वाला मोस्टवांटेड हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे एमपी के उज्जैन में पकड़ा गया। हालाँकि बाद में वह भागने की कोशिश करते हुए पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।
एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया था कि उस रात पुलिस एनकाउंटर के इरादे से नहीं गई थी और न ही उनके पास पर्याप्त मात्रा में असलहे थे। लेकिन विकास दुबे और उसका गैंग पूरी तैयारी में था। घायल एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 2 जुलाई की रात करीब 12 बजे दबिश देने की तैयारी थी।
उनके साथ उनकी टीम थी, साथ ही चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी, माय फोर्स व एक अन्य थाने की फोर्स भी थी। इसके अलावा सीओ भी थे। सभी लोगों को करीब साढ़े 12 बजे विकास के घर से करीब 200 मीटर की दूरी पर गाड़ी से उतरना पड़ा। रास्ते में जेसीबी को इस तरह से खड़ा किया गया था कि कोई गाड़ी न निकल सके। पैदल भी एक बार में एक ही आदमी निकल सके।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वहाँ पर पर्याप्त मात्रा में रोशनी न होने की वजह से वो लोग विकास दुबे की गैंग को नहीं देख पा रहे थे, मगर वो लोग उनको अच्छी तरह से देख रहे थे। उन्होंने बताया कि तीन तरफ से फायरिंग हो रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे एक ही समय में 15 लोग गोली चला रहे हों। उन्होंने आरोपितों के पास सेमी ऑटोमेटिक वेपन्स होने की भी आशंका जताई थी।