CM योगी के 4 साल: अपराध मुक्त UP में मुठभेड़ की 7791 घटनाएँ, 135 अपराधी ढेर, अब तक 16000 गिरफ्तार

अपराध के प्रति जीरो टॉलेरेंस की बातें करती है योगी सरकार (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश में अपराध और अपराधियों के खिलाफ योगी आदित्यनाथ की सरकार अक्सर जीरो टॉलेरेंस की बातें करती हैं। ऐसे में भाजपा की सरकार आने के बाद से पुलिस और अपराधियों के बीच कई मुठभेड़ हुए हैं, जिनमें आत्मरक्षा में पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी और कई अपराधी मारे गए।

विपक्ष उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर की संख्या को लेकर अक्सर सरकार को घेरता है और तमाम तथ्यों के सामने आने के बावजूद उन्हें फर्जी बताता है। ‘दैनिक जागरण’ के आँकड़ों के अनुसार, पिछले 4 वर्ष में उत्तर प्रदेश में अब तक 135 अपराधी एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं।

इस वर्ष पिछले ढाई महीने में हुई ऐसी कई मुठभेड़ों में 6 अपराधी ढेर हो गए। वार्षिक आँकड़ों की बात करें तो 2017 में पुलिस और अपराधियों की मुठभेड़ में 28, वर्ष 2018 में 41, वर्ष 2019 में 34 जबकि वर्ष 2020 में 26 अपराधी मारे गए हैं। इनमें 111 ऐसे थे, जो इनामी बदमाश थे।

इनमें से कइयों की तलाश पुलिस को पहले से ही थी और वो फरार चल रहे थे। पुलिस को देखते ही या खुद को घिरा हुआ पाते ही उन्होंने शस्त्रों का प्रयोग शुरू किया और आत्मरक्षा व आम नागरिकों के जान-माल की सुरक्षा के लिए हुई जवाबी कार्रवाई में उनकी मौत हो गई। कई बार पुलिस घायल अपराधियों को इलाज के लिए अस्पताल ले गई लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

पिछले साल विकास दुबे कांड सुर्खियों में था। विकास दुबे पर 5 लाख का इनाम था। उसने अपने गुर्गों के साथ मिल कर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। ऐसे खूँखार अपराधी के अलावा भी UP पुलिस ने कुछ ऐसे अपराधियों का समाज से सफाया किया है, जो इनामी बदमाश थे, जिनका इलाके में खौफ था।

UP पुलिस के साथ मुठभेड़ में तीन ऐसे बदमाशों की भी जान गई, जिन पर ढाई लाख रुपए का इनाम था। दो लाख रुपए के इनामी दो बदमाश, डेढ़ लाख रुपए के इनामी तीन बदमाश, एक लाख रुपए के इनामी 18 बदमाश, 75 हजार का इनामी एक बदमाश और पचास हजार के इनामी 46 बदमाश इन मुठभेड़ों में ढेर हुए।

इन सबके अलावा 25 हजार रुपए के इनामी 20 बदमाश, 15 हजार रुपए के इनामी 11 बदमाश, 12 हजार रुपए के इनामी चार बदमाश तथा पाँच हजार रुपए का इनामी एक बदमाश UP पुलिस द्वारा आत्मरक्षा में चलाई गई गोली का शिकार हुआ।

सबसे अधिक अपराधी मेरठ में मारे गए हैं, जहाँ ये संख्या 18 है। अब तक पुलिस और अपराधों के बीच राज्य में हुई 7791 मुठभेड़ों में 16000 से अधिक अपराधी गिरफ्तार हुए हैं। इनमें से 3000 बदमाश ऐसे हैं, जो पुलिस की गोली से घायल हुए। इनमें से अधिकतर को अस्पताल में भर्ती करा कर उनकी जान बचाई गई।

हाल ही में बलरामपुर की एक जनसभा में AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया था कि योगी सरकार में एनकाउंटर में मारे गए अपराधियों में 37% मुस्लिम हैं, जबकि राज्य में मुस्लिमों की जनसंख्या 18-19% है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी ‘ठोक दो’ जैसी बातें करते हैं।

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अगस्त 2020 में डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने पुलिस पर विशेष वर्ग के लोगों के एनकाउंटर किए जाने के आरोप पर कहा था कि इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं और अपराधियों की कोई जाति और धर्म नहीं होता है। उन्होंने बताया था कि पुलिस एनकाउंटर में मारे गए सभी का आपराधिक इतिहास रहा है और कई तो पुलिस कर्मियों की हत्या में शामिल थे। जाति या सांप्रदायिक आधार पर अपराधियों के साथ भेदभाव नहीं किया गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया