हाल ही में गाजियाबाद के डासना में एक नाबालिग लड़के आसिफ की पिटाई हुई, जिसके बाद दावा किया गया कि वो मंदिर में पानी पीने गया था। हालाँकि, एक व्यक्ति ने इस पूरे नैरेटिव पर तथ्यों से तगड़ा प्रहार किया। डासना में जब जात-पात या आस-पड़ोस की लड़ाई होती है तो एक ही व्यक्ति का समझौता अंतिम माना जाता है, यति नरसिंहानंद सरस्वती का।
इस घटना के बाद कई मुस्लिमों ने दावा किया कि उनके पूर्वजों ने मंदिर के निर्माण में मदद की थी। हालाँकि, मंदिर के मुख्य पुजारी ने अब दावा किया है कि उन्होंने मंदिर के अधिकांश हिस्सों का निर्माण किया है। यति नरसिंहानंद सरस्वती ने यह भी दावा किया कि स्थानीय मुसलमानों के पूर्वजों ने शायद 200 साल पहले मंदिर के निर्माण में मदद की थी, जब वो हिंदू थे, मुस्लिम में कन्वर्ट नहीं हुए थे।
यति नरसिंहानंद सरस्वती ने दावा किया कि उनके पास मंदिर को दिए जाने वाले सभी दान का रिकॉर्ड है और उनमें से कोई भी स्थानीय मुस्लिम आबादी से नहीं है। उन्होंने कहा, “स्थानीय मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे और उन्होंने शायद 200 साल पहले मंदिर के निर्माण में योगदान दिया था, मगर किसी के पास भी इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। मेरे पास इस मंदिर के लिए किए गए प्रत्येक दान का विवरण है और मैं गारंटी दे सकता हूँ कि उनमें से कोई भी स्थानीय मुस्लिम आबादी से नहीं है।”
मंदिर परिसर के अंदर मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले नए बोर्ड के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “यह बोर्ड हमेशा के लिए रहेगा। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले किसी भी व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश करने से रोका नहीं जाएगा, यह बोर्ड केवल उन लोगों के लिए है, जिनका धार्मिक गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है।”
बता दें कि मंदिर के गेट पर पहले से भी एक बड़ा बोर्ड लगा दिया गया है। जिस पर लिखा है, “यह मंदिर हिन्दुओं का पवित्र स्थल है। यहाँ मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है।”
गौरतलब है कि डासना देवी मंदिर पौराणिक समय से महाभारत के इतिहास से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय बिताया था। इस मंदिर पर जब हमला हुआ था तो यहाँ पर देवी देवाताओं की मूर्तियों को मंदिर परिसर में बने एक तालाब में छुपा दिया गया था।
नवरात्र पर्व के मौके पर अष्टमी और नवमी के दिन हजारों की संख्या में लोग ऐतिहासिक महत्व वाले डासना स्थित प्राचीन देवी में दर्शन के लिए आते हैं। परिवार के लोगों की सुख शांति के लिए प्रचंड चंडी देवी की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि करीब पाँच हजार साल पुराने इस मंदिर में भगवान शिव, नौ दुर्गा, सरस्वती, हनुमान की मूर्ति स्थापित हैं।