आगरा के ताजगंज स्थित पुष्पा इको सिटी कॉलोनी से एक हृदयविदारक खबर सामने आई है, जहाँ एक सैनिक की पत्नी की आग में जल कर मौत हो गई। हुआ यूँ कि आपसी झगड़े ने जातीय विवाद का रूप ले लिया और एससी-एसटी केस दर्ज होने के बाद मामले को सुलझाने के लिए रविवार (अक्टूबर 11, 2020) को पंचायत बैठी थी। सैनिक का आरोप है कि विरोधी पक्ष ने उसकी पत्नी पर केरोसिन डाल कर आग लगा दी, जिससे उसकी मौत हो गई।
सैनिक अनिल राजावत का परिवार गढ़मुक्तेश्वर का रहने वाला है। उनकी पत्नी संगीता की मृत्यु के बाद घर में 8 वर्षीय दो जुड़वा बेटे पियूष और आयुष हैं। ‘दैनिक जागरण’ की खबर के अनुसार, अनिल ने बताया कि उनके बेटे का कॉलोनी के ही रहने वाले भरत खरे के बेटे से झगड़ा हो गया था। भरत के बेटे के सिर में चोट आई और उसने थाने में एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया।
आरोप है कि पंचायत के दौरान समझौते की बात करते हुए भरत खरे ने अनिल राजावत के परिवार से मुकदमा वापस लेने के एवज में न सिर्फ 10 लाख रुपए की माँग की है बल्कि दोनों पति-पत्नी को सबके सामने पाँव छू कर माफ़ी माँगने को भी कहा। संगीता पाँव छूने के लिए तैयार नहीं हुई और रुपयों पर भी बात नहीं बनी। सैनिक अनिल का कहना है कि इसी दौरान उनकी पत्नी के चीखने की आवाज़ आई।
जब उन्होंने जाकर देखा तो वो आग की लपटों में जल रही थी। संगीता को इसके बाद मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया, जहाँ से उसे दिल्ली गेट स्थित एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। वहाँ से उसे एसएन इमरजेंसी और वहाँ से दिल्ली के आरआर हॉस्पिटल में रेफर किया गया। रविवार की सुबह साढ़े 9 बजे संगीता की मौत हो गई। अनिल ने भरत पर 10-15 साथियों के साथ मिल कर उनकी पत्नी की हत्या का आरोप लगाया है।
Thakur hegemony in UP is such that a Thakur woman has to die in face of SC/ST charges slapped on the family over a fight between ten year old kids. Events turn ugly when woman refuses to touch feet of the “aggrieved” and her husband can’t cough up Rs 10 lakh as settlement amount https://t.co/ek7WeaB1Ih
— Vikas Saraswat (@VikasSaraswat) October 13, 2020
इस मामले में सीओ से भी मिल कर कॉलोनीवासियों ने पूरे मामले से अवगत कराया था लेकिन उनका कहना था कि जब तक मुकदमा दर्ज कराने वाला पक्ष संतुष्ट होकर सहमति नहीं देता, तब तक मुकदमा वापस नहीं किया जा सकता है। कॉलोनी के लोगों का कहना है कि संगीता आग की लपटों से घिरी सड़क पर दौड़ रही थी। उसे बचाने के लिए अनिल भी उससे लिपट गए, जिससे उनका हाथ भी झुलस गया।
कॉलोनी के लोगों का कहना है कि वो घर में खाना भी नहीं बना रहे हैं क्योंकि जिन्दा जलती संगीता की तस्वीर उनके आँखों के सामने से हट नहीं रही है। साथ ही वो एससी-एसटी एक्ट के तहत हुए मुक़दमे को अनिल राजावत के हँसते-खेलते परिवार को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। भरत खरे और उसके परिवार को पुलिस ने अपनी अभिरक्षा में ले लिया है, क्योंकि पुलिस को डर था कि उन पर आक्रोशित लोगों द्वारा हमला हो सकता है।