Wednesday, April 30, 2025

मानसिक-शारीरिक रूप से स्वस्थ अविवाहित बालिग बेटियाँ भरण-पोषण की हकदार नहीं: J&K हाई कोर्ट ने निचली कोर्ट का आदेश पलटा, बुजुर्ग पिता खुद बेटे से लेता है मेंटनेंस

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने कहा कि शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ वयस्क अविवाहित बेटियाँ भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती हैं। अदालत ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर दंड प्रक्रिया संहिता (J&K CrPC) की धारा 488 में पत्नी और बच्चों को भरण-पोषण देने का प्रावधान है, लेकिन ऐसी बेटियाँ इस कानून के तहत दावा नहीं कर सकती हैं।

यह आदेश जस्टिस राहुल भटरी ने दिया है। दरअसल, एक वरिष्ठ नागरिक ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस वरिष्ठ नागरिक को अपनी दो वयस्क एवं अविवाहित बेटियों में से प्रत्येक को 1,200 रुपए का भरण-पोषण देने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने निचली आदेश के आदेश को रद्द कर दिया।

दरअसल, साल 2014 में बुजुर्ग की दो अविवाहित बेटियों और एक बेटे ने अपने पिता से भरण-पोषण के लिए निचली अदालत में याचिका दायर की थी। निचली अदालत ने सिर्फ दोनों बेटियों की याचिका स्वीकार की। वहीं, बुजुर्ग ने खुद अपने बेटे से भरण-पोषण के लिए एक अलग से याचिका दायर की थी। अदालत ने बुजुर्ग के बेटे को आदेश दिया कि वह 2,000 रुपए महीना अपने पिता को भरण-पोषण दे।