बोर्ड ने कहा है कि संसद की ओर से पास क़ानून (प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट) को प्रभावी रूप से लागू करना केंद्र और राज्यों की जिम्मेदारी है। ऐसा न होने की सूरत में देश भर में विस्फोटक स्थिति बन सकती है, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट और केन्द्र सरकार जिम्मेदार होंगे।
All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) demands Supreme Court to stop lower courts from accepting petitions on claims on mosques and dargahs in various courts across the country. pic.twitter.com/XIwsbCz1Eq
— ANI (@ANI) November 28, 2024
AIMPLB के प्रवक्ता सैयद कासिम इलियास ने बयान करके कहा, इस तरह मस्जिद और दरगाहों पर दावे किए जाना कानून और संविधान का खुला मजाक हैं। पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के मद्देनजर इस तरह के दावों का कोई आधार नहीं बनता क्योंकि संसद की ओर से पारित कानून में साफ किया गया है कि 15 अगस्त, 1947 तक किसी भी पूजा स्थल की स्थिति अपरिवर्तित रहेगी और इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।