इलाहाबाद हाई कोर्ट ने परिजनों की सहमति के बिना विबाह करने वाले एक दम्पत्ति की सुरक्षा की माँग को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा, “अदालतों का उद्देश्य ऐसे युवाओं को सुरक्षा प्रदान करना नहीं, जो अपनी मर्जी से शादी करने के लिए घर से भागे हैं।”
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि जो जोड़े अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध शादी करते हैं, वे आधिकारिक रूप से सुरक्षा की माँग नहीं कर सकते।
जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने कहा,”यदि भागे हुए दम्पत्ति के साथ साथ कोई दुर्व्यवहार करता है या उनके लिए खतरा है, तो उनकी मदद अदालतें और पुलिस करेंगी। लेकिन जब किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है, तब सुरक्षा नियमित तौर पर नहीं दी जाएगी।”
4 अप्रैल 2025 को दिए गए अपने निर्णय में हाई कोर्ट ने कहा, “यह देखने की आवश्यकता नहीं है कि याचिकाकर्ताओं ने पहले ही चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक के समक्ष एक अभ्यावेदन प्रस्तुत कर दिया है और यदि संबंधित पुलिस को वास्तविक खतरा महसूस होता है, तो वह कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेगी।”