लोकसभा में बुधवार (2 अप्रैल, 2025) को वक्फ संशोधन बिल 2025 को पेश किया गया। विपक्ष के घोर हंगामे के बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ बिल पेश करते हुए कहा कि लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने बिल पर अब तक सबसे विस्तृत चर्चा की है। 284 प्रतिनिधिमंडल ने जेपीसी को अपने सुझाव दिए। 25 वक्फ बोर्डों ने अपनी दलीलें दीं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वक्फ अधिनियम पहली बार 1954 में बना। उसी के तहत वक्फ बोर्डों के लिए प्रावधान तय किए गए थे। इसके बाद 1995 में विस्तृत वक्फ अधिनियम लाया गया। उस समय किसी ने नहीं कहा कि ये गैर-कानूनी या असंवैधानिक अधिनियम है। हम केवल इसमें संशोधन कर रहे हैं तो गैरकानूनी लग रहा है। विपक्ष लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।
लोकसभा में पेश हुए वक्फ बिल के विधेयक में धारा 3सी (1) में कहा गया है कि अधिनियम लाने से पहले या बाद में वक्फ की संपत्ति को तौर पर घोषित की गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ की नहीं मानी जाएगी।

इस विधेयक का उद्देश्य प्रौद्योगिकी को शामिल करके जटिलताओं को समझना और पारदर्शिता के साथ वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर करना है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ये कानून किसी की संपत्ति को हड़पने के लिए नहीं है, पर जो संपत्ति विवाद में या कोर्ट में है, उसमें सरकार कोर्ट की पावर को नहीं हटाएगी।