Saturday, June 14, 2025

लंदन से काशी आई बांग्लादेशी मुस्लिम महिला, गंगा तट पर घर वापसी कर कहा – पूर्वजों की गलती सुधारी : बताया 27 साल पहले गर्भ में मरी बच्ची सपने में आकर माँगती थी मुक्ति

बांग्लादेशी मूल की मुस्लिम महिला ने घर वापसी कर ली। काशी में अंबिया बानो अब अंबिया माला बन गई हैं। अंबिया ने 27 वर्ष पहले गर्भ में मरी बच्ची की मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान भी किया।

लंदन से काशी पहुँची 49 वर्षीय अंबिका ने बताया, “27 साल पहले गर्भ में मेरी बेटी की मौत हो गई। तब से वह मेरे सपने में आती और मुझसे बात करती थी। कहती – मुझे मुक्ति चाहिए। मैंने मुक्ति या मोक्ष कैसे मिलेगा, इसके बारे में जानकारी ली। कई वेबसाइट्स खंगाले। तब मुझे काशी में पिंडदान और मोक्ष के बारे में पता चला। मैंने आगमन संस्था से बात की और काशी आ गई।”

सोमवार (12 मई 2025) को काशी के दशाश्ववमेध घाट पर अंबिया ने पिंडदान किया। पिंडदान का कर्मकांड पाँच वैदिक ब्राह्मणों ने कराया। इस दौरान अंबिया ने सनातन धर्म अपनाया। उन्होंने कहा, “जो गलती मेरे पूर्वजों ने की है, मैंने उन्हें सुधारते हुए सनातन धर्म अपना लिया है।”

आगमन संस्था के संस्थापक सचिव डॉ. संतोष ओझा ने अंबिया को गंगा स्नान कराया और सनातन धर्म स्वीकार कराया। इसके बाद पंचगव्य ग्रहण कराकर उनकी आत्मशुद्धि कराई।