बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि लाउडस्पीकर किसी भी मजहब का अनिवार्य हिस्सा नहीं हैं। हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस से लाउडस्पीकर पर एक्शन लेने को कहा है। हाई कोर्ट ने कहा है कि शोर लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है। हाई कोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर के उपयोग से रोकना किसी के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन भी नहीं करता।
यह आदेश बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक RWA की जनहित याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि उनकी सोसायटी के पास मस्जिद-मदरसे लाउडस्पीकर से शोर करते हैं। यह शोर सुबह 5 बजे से चालू होता है और कभी-कभी रात 1:30 बजे तक चालू रहता है।
हाई कोर्ट ने पुलिस से यह भी कहा है कि वह ऐसे मामलों में मजहबी स्थलों की शिकायत करने वालों की पहचान ना उजागर करे और एक्शन ले। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी एक ऐसा ही आदेश मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति माँग रहे एक मामले में दिया है।