वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने दलील पेश की। सरकार ने कहा, “वक्फ एक इस्लामिक अवधारणा है, इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है।” इसलिए इसे संविधान के तहत मौलिक अधिकार के तौर पर नहीं माना जा सकता।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (21 मई 2025) को तीन घंटे से ज्यादा देर तक केंद्र सरकार की दलीलें सुनीं, जिसमें वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर रोक लगाने का विरोध किया गया। सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि जब तक वक्फ को इस्लाम का आवश्यक हिस्सा नहीं माना जाता, तब तक अन्य सभी तर्क का कोई मतलब नहीं है।
मेहता ने अधिनियम का बचाव करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को सरकारी जमीन पर दावा करने का अधिकार नहीं है, भले ही वह जमीन वक्फ के रूप में घोषित की गई हो। सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा, “वक्फ संपत्ति एक मौलिक अधिकार नहीं है। इसे कानून द्वारा मान्यता दी गई थी। अगर कोई अधिकार विधायी नीति के तहत दिया गया है, तो उसे हमेशा वापस लिया जा सकता है।”