दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक विशेष न्यायाधीश का तबादला कर दिया है, जिन पर एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने आरोप लगाया था कि वे कोर्ट क्लर्क के साथ मिलकर आरोपितों की जमानत के बदले रिश्वत माँगते थे।
एसीबी ने इस साल जनवरी में दावा किया था कि उसके पास ऐसे कई मामलों के सबूत हैं, जिसमें न्यायाधीश और क्लर्क की संलिप्तता पाई गई है। आरोप था कि कुछ मामलों में आरोपितों के परिजनों से 15-20 लाख रुपए से लेकर एक करोड़ रुपए तक की रिश्वत की माँग की गई।
हालाँकि, फरवरी में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि न्यायाधीश के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। उच्च न्यायालय के विजिलेंस रजिस्ट्रार ने एसीबी को पत्र के माध्यम से बताया था, कि न्यायिक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई अनुमति आवश्यक नहीं है। लेकिन, यदि जाँच के दौरान ठोस सबूत मिलते हैं, तो जाँच एजेंसी नए सिरे से अनुमति माँग सकती है।
16 मई को एसीबी ने कोर्ट क्लर्क (अहलमाद) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें रजिस्ट्रार के जवाब का भी जिक्र किया गया था। जिसके चार दिन बाद, मंगलवार (20 मई 2025) को विशेष न्यायाधीश का तबादला कर दिया गया, वही मामले की जाँच अभी भी जारी है।