नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार (19 फरवरी) को रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड और केंद्र सरकार से जवाब माँगा है। जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने रेलवे से कोचों की क्षमता से अधिक यात्रियों को टिकट बेचने पर सवाल उठाया है।
कोर्ट ने रेलवे अधिनियम की धारा 57 का भी उल्लेख किया, जिसमें प्रावधान है कि प्रशासन एक डिब्बे में ले जाए जाने वाले यात्रियों की अधिकतम संख्या तय करेगा। कोर्ट ने कहा, “क्या आपको पता है कि उस दिन स्टेशन पर कितने लाख लोग थे? बुनियादी ढाँचे के हिसाब से उस तरह की भीड़ को नियंत्रित करना संभव नहीं हो सकता। यह कोई रेल दुर्घटना नहीं है, जिसके लिए लापरवाही को वजह बताई जाए।”
कोर्ट ने कहा, “यदि आप एक साधारण सी बात को सकारात्मक तरीके से अक्षरशः लागू करते हैं तो ऐसी स्थिति से बचा जा सकता है। भीड़ वाले दिनों में आप भीड़ को समायोजित करने के लिए उस संख्या को बढ़ा सकते हैं, जो समय-समय पर आने वाली आवश्यकताओं पर निर्भर करती है। लेकिन, कोच में समायोजित की जाने वाली क्षमता को तय न करके, इस प्रावधान की हमेशा उपेक्षा की गई है।”