फरीदाबाद नगर निगम के वकील सतीश आचार्य ने बताया कि नीलम बाटा रोड पर बनी यह मजार करीब 25 से 30 साल पुरानी थी और इसे सड़क के बीच में अवैध रूप से बनाया गया था। उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय लोगों ने कई बार नगर निगम से शिकायत की थी कि यह मजार सड़क पर ट्रैफिक का कारण बनती थी। साथ ही यह सरकारी जमीन पर नियमों के खिलाफ बनाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बने धार्मिक ढाँचो को तुरंत हटाए जाए। इसी निर्देश के तहत अवैध मजार को हटा दिया गा है। नगर निगम ने कई बार मजार की देखरेख करने वाले संबंधित पत्र को इसे हटाने के लिए नोटिस भेजे हैं। इसके बावजूद, मजार नहीं हटाई गई।