इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) द्वारा इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट ने यूरोपीय संघ (EU) के देशों को कूटनीतिक उलझन में डाल दिया है। इटली ने कहा कि वह ICC के फैसले का पालन करने और नेतान्याहू को गिरफ्तार करने के लिए बाध्य है।
इटली के रक्षा मंत्री गुइडो क्रोसेटो ने माना कि अगर नेतान्याहू इटली आते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार करना कानूनी रूप से आवश्यक होगा। हालाँकि, उन्होंने ICC के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि नेतान्याहू और हमास को एक ही स्तर पर रखना गलत है।
फ्रांस ने इस मामले पर सतर्क रुख अपनाते हुए ICC के स्वतंत्र कार्यों का सम्मान करने की बात कही, लेकिन नेतान्याहू को गिरफ्तार करने के प्रति कोई स्पष्ट प्रतिबद्धता नहीं जताई। फ्रांस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्रिस्टोफ लेमोइन ने इसे कोर्ट की प्रक्रिया का हिस्सा बताया और कहा कि यह कोई अंतिम फैसला नहीं है।
वहीं, जर्मनी जो इजराइल का घनिष्ठ सहयोगी है, ने ICC के फैसले का अपनी नीतियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने दिया। जर्मनी ने अपनी हथियार आपूर्ति समेत इजराइल को समर्थन जारी रखने की बात कही। इस बीच, हंगरी ने खुलेआम आईसीसी के फैसले का विरोध किया और नेतान्याहू को दौरे के लिए आमंत्रित किया।
भारत क्या कदम उठाएगा?
बता दें कि आईसीसी में 124 देश हैं। भारत उनमें से एक नहीं है। ऐसे में भारत आईसीसी के किसी भी फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं है, ऐसे में वो नेतान्याहू को गिरफ्तार नहीं करेगा। वहीं, पिछले साल ब्रिक्स की बैठक के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर नहीं गए थे, क्योंकि वो आईसीसी का मेंबर है और उसे पुतिन को गिरफ्तार करने के लिए बाध्य होना पड़ता।