इजरायल और ईरान के बीच 12 दिनों के संघर्ष का बाद सीजफायर की घोषणा हुई। इसके बाद से ईरान लगातार नए-नए फैसले ले रहा है। इन फैसलों में उसके परमाणु ठिकानों की रक्षा करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन IAEA के साथ के अपने सहयोग को भी वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया है।
ईरानी संसद में अतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी (IAEA) के खिलाफ एक बिल लाया गया है। इसमें कहा गया है कि ईरान अब IAEA का सहयोग नहीं करेगा। इसके बाद पश्चिमी देशों में ईरान के परमाणु हथियार संबंधी कार्यक्रम को लेकर तनाव बढ़ गया है।
बिल को लागू करने के लिए ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की मंजूरी मिलनी अभी बाकी है। इस बिल के तहत निरीक्षण की अनुमति देना, कैमरे लगाना और IAEA को रिपोर्ट देने संबंधी सभी काम निलंबित किए जाएँगे।
गौरतलब है कि 22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, इस्फहान और नतांज में स्थित परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। ईरान ने भी कतर, सीरिया और इराक में अमेरिका सैम्य अड्डों पर हमले किए।
IAEA दुनियाभर में परमाणु कार्यक्रमों की निगरानी और निरीक्षण कर अंतरराष्ट्रीय शांति बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसे प्रतिबंधित करने के फैसले से वैश्विक स्तर पर सुरक्षा को लेकर भी पश्चिमी देशों की चिंताएँ बढ़ गई हैं।