केरल के पथानामथिट्टा स्थित भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश से पहले पुरुषों द्वारा ऊपरी वस्त्र उतारने की परंपरा के खिलाफ रविवार (23 मार्च ) को एक विरोध प्रदर्शन हुआ। एसएनडीपी संयुक्त समारा समिति के सदस्यों ने मंदिर के बाहर कतार बनाकर बिना शर्ट उतारे प्रार्थना की और इस प्रथा को समाप्त करने की माँग उठाई।
इस प्रथा की शुरुआत ये सुनिश्चित करने के लिए की गई थी कि पुरुष ‘पूनूल’ (जनेऊ) पहनते हैं या नहीं। हालाँकि, अब इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए कई लोगो ने इसके खिलाफ आवाज उठाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। जो शांतिपूर्ण रहा और पुलिस या मंदिर प्रबंधन की ओर से कोई आपत्ति नहीं जताई गई।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मंदिर प्रशासन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि बिना शर्ट उतारे प्रवेश करने पर कोई रोक नहीं है, हालाँकि भक्त पारंपरिक रूप से इस नियम का पालन करते आए हैं। प्रदर्शन एक प्रमुख साधु के आह्वान के बाद शुरु हुआ, जिसमें उन्होंने राज्यभर के मंदिरों में इस प्रथा को समाप्त करने की माँग की थी।
शिवगिरी मठ के प्रमुख स्वामी सच्चिदानंद ने इसे सामाजिक बुराई करार दिया और मंदिरों में समानता लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि श्री नारायण गुरु ने मंदिर संस्कृति को आधुनिक बनाने की दिशा में काम किया था, इसलिए इस तरह की परंपराओं को खत्म किया जाना चाहिए।
बता दें कि 01 जनवरी 2025 को भी ऐसी खबरें आई थी, जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा इस तरह की प्रथा को समाप्त करने का अनुरोध किया गया। जहाँ इस प्रथा को समाप्त करने के समर्थन में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी थे।