बता दें कि साल 2018 में जब रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डिओसिस के बिशप फ्रैंको पर एक नन ने यौन शोषण और बलात्कार का आरोप लगाया था। तब सिस्टर अनुपमा समेत कोट्टायम स्थित मिशनरीज ऑफ जीसस कॉन्वेंट की चार ननों ने पीड़िता का साथ दिया था। इनमें सबसे आगे सिस्टर अनुपमा केलमंगलाथुवेलियिल थीं। इन्हीं के नेतृत्व में कोट्टायम में जबरदस्त विरोध हुआ, जिसकी गूँज पूरे देश में सुनाई दी।
आंदोलन के तीन महीने बाद जाकर बिशप फ्रैंको की गिरफ्तारी हुई थी। हालाँकि 2022 में कोट्टायम की एक ट्रायल कोर्ट ने बिशप फ्रैंको को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इसके बाद पीड़िता, अनुपमा और बाकी ननों ने फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है, जो अभी विचाराधीन है।