सीबीआई के मुताबिक रेलवे के ग्रुप डी की नौकरी ऐसे लोगों को दी गई जिन्हें अपना नाम भी लिखना नहीं आता। एजेंसी ने दावा किया कि इन नौकरियों के लिए चुने गए लोगों ने लालू यादव, उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर जमीन के प्लॉट गिफ्ट में दिए या ट्रांसफर किए।
सीबीआई ने घोटाले के मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में ये दलीलें पेश कीं। गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई ने मई 2022 में एफआईआर दर्ज की थी।
ये फर्जी नियुक्तियाँ मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में 2004 से 2009 के बीच की गई थीं। उस दौरान यूपीए-1 सरकार के तहत लालू यादव भारत के रेल मंत्री थे। लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है और फिलहाल वे मेडिकल आधार पर जमानत पर हैं।