Saturday, February 1, 2025

मंदिर हटवाने के लिए ‘पत्रकार’ ने डाली PIL, हाई कोर्ट ने लगाया जुर्माना: कहा- इसमें उनका निजी स्वार्थ, नहीं बता पाए क्यों यह सार्वजनिक हित में

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने शहर के एक मंदिर को हटाने के लिए दायर की गई जनहित याचिका को खारिज करने वाले आदेश की समीक्षा करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि खुद को पत्रकार कहने वाले वादी ने अपनी समीक्षा याचिका में यह खुलासा नहीं किया है कि इस मंदिर को हटाना सार्वजनिक हित में क्यों है। ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें उसका स्वार्थ निहित है।

न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने कहा कि वादी यशवंत निवास रोड के आसपास का भी रहने वाला नहीं है। उसने यह भी नहीं बताया कि वह यहाँ के एक विशेष मंदिर ही क्यों हटाना चाहता है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यशवंत निवास रोड के धार्मिक स्थलों के अवैध निर्माण से दुखी था तो उसे सरकारी भूमि पर या बिना अनुमति के बनाए गए सभी धार्मिक संरचनाओं को चुनौती देनी चाहिए थी।

याचिकाकर्ता ने इस मामले में 25 प्रतिवादियों को पक्षकार बनाया था। इनमें से प्रतिवादी संख्या 6 से 25 तक मनमोहन पार्श्वनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर एवं गुरु मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और ट्रस्टी हैं। समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने वादी से 25 हजार रुपए लागत के रूप में विधिक सहायता सेवा प्राधिकरण, इंदौर के खाते में जमा करने का आदेश दिया।