मध्य प्रदेश HC ने एक जज की नौकरी खत्म करने के फैसले को सही ठहराया है। यह जज अभी प्रोबेशन में थे और उन पर महिलाओं समेत कई अदालती कर्मचारियों से बदसलूकी करने के आरोप थे। उन पर वकीलों से भी उठक-बैठक लगवाने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। नौकरी से निकाले जाने वाले जज का नाम कौस्तुभ खेड़ा है।
जज ने सितंबर 2024 में अपनी बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसे HC की प्रशासनिक समिति ने मंजूर किया था। जज का दावा था कि उन्हें सज़ा देने के लिए हटाया गया है।
पूर्व चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने 7 मई 2025 को कहा था, कि प्रोबेशन पर रखे गए अधिकारी की नौकरी खत्म करना कोई सज़ा नहीं है। अगर अधिकारी का काम और व्यवहार संतोषजनक नहीं तो वह पद के लिए सही नहीं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में जज के खिलाफ लगाए गए दुर्व्यवहार के आरोपों और उनके काम की गुणवत्ता (उन्हें 2021 में ‘C’ ग्रेड मिला था और 2023 में उनके फैसलों की गुणवत्ता अच्छी नहीं पाई गई थी) को देखते हुए यह फैसला सही है।
कोर्ट ने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से विचार-विमर्श के बाद लिया गया है और इसमें कोई अन्याय नहीं है।