भारत में परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर राजगोपाला चिदंबरम का शनिवार (4 जनवरी 2025) की सुबह 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। सन 1974 के परमाणु परीक्षण में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया था, जबकि 1998 के पोखरण टेस्ट में उन्होंने वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व किया था। उन्हें साल 1975 में पद्मश्री और 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
चेन्नई में सन 1936 में जन्मे चिदंबरम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु से पढ़ाई की थी। वे डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के प्रमुख सहयोगी थे। सन 1990 में उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के निदेशक की जिम्मेदारी सँभाली थी। सन 1993 से 2000 तक वे परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष रहे। वे भारत के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
साल 2024 में एक इंटरव्यू में डॉक्टर चिदंबरम ने कहा था कि न्यूक्लियर साइंस में सभी देश एक-दूसरे की मदद करते हैं, लेकिन भारत अकेला खड़ा है। उन्होंने कहा था कि अमेरिका के मैनहैटन प्रोजेक्ट में ब्रिटेन भी शामिल है। रूस-चीन, चीन-पाकिस्तान, अमेरिका-फ्रांस, फ्रांस-इजराइल में भी न्यूक्लियर रिलेशनशिप है, लेकिन भारत अपने न्यूक्लियर प्रोजेक्ट अकेले ही करते आया है।