Sunday, July 13, 2025

‘अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति और शिक्षा की पहचान बचाने का हक’ : मद्रास हाई कोर्ट ने कहा – ‘उनके संस्थानों के अधिकारों की रक्षा जरूरी’

मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों की रक्षा जरूरी है। जस्टिस आनंद वेंकटेश ने चार स्वायत्त कॉलेजों और एक गैर-स्वायत्त कॉलेज की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये बात कही।

रिपोर्ट के मुताबिक, इन कॉलेजों ने माँग की थी कि असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रिंसिपल की नियुक्ति के लिए यूनिवर्सिटी से मंजूरी मिले। उनका कहना था कि तमिलनाडु सरकार ने यूजीसी के 2018 के जिन नियमों को साल 2021 में अपनाया, उन पर लागू नहीं होने चाहिए। ये नियम सिलेक्शन कमेटी बनाने की शर्त रखते हैं, जो उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

संविधान के अनुच्छेद 30(1) का हवाला देते हुए जज ने कहा कि अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति और शिक्षा की पहचान बचाने का हक है। यूजीसी और राज्य ने दावा किया कि ये नियम सभी पर लागू हैं और शिक्षा का स्तर बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। लेकिन कोर्ट ने कहा कि ये नियम संस्थानों के प्रशासन में दखल देते हैं, जो गलत है।

कोर्ट ने 2018 नियम को अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू न मानते हुए यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि वो कॉलेजों की चुनी गई नियुक्तियों को मंजूरी दें, बशर्ते उम्मीदवार दूसरी योग्यताएँ पूरी करते हों।