भारत ने साफ़ कर दिया है कि तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा केवल खुद ही अपने उत्तराधिकारी पर फैसला ले सकते हैं। भारत ने इस मामले में चीन के दखल को खारिज किया है और कहा है कि यह तिब्बती बौद्ध परम्परा का आंतरिक मामला है।
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार (3 जुलाई 2025) को कहा है कि अगले दलाई लामा पर निर्णय सिर्फ और सिर्फ स्थापित संस्था और दलाई लामा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले में कोई और शामिल नहीं होगा।
उन्होंने कहा, “दलाई लामा को मानने वाले सभी लोगों की राय है कि उत्तराधिकारी का फैसला स्थापित परंपरा के और दलाई लामा की इच्छा के अनुसार होना चाहिए। किरेन रिजिजू फिलहाल धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के अवसर पर हो रहे समारोहों में भारत सरकार के प्रतिनिधियों के रूप में हिस्सा लेने पहुँचे हैं।
रिजिजू ने कहा, “दलाई लामा का पद न केवल तिब्बतियों के लिए बल्कि दुनिया भर में उनके सभी अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपने उत्तराधिकारी के बारे में निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह से दलाई लामा के पास है।”
इससे पहले दलाई लामा के आधिकारिक कार्यालय गादेन फोडरंग ट्रस्ट ने भी बयान जारी कर कहा था कि 15वाँ दलाई लामा किसे बनाया जाएगा, इसका निर्णय पूरी तरह गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही करेगा।