पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हिरासत में याताना देने को लेकर मोहाली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) से जवाब तलब किया है। आरोप है कि मोहाली पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में अमानवीय रूप से प्राड़ित किया। अदालत ने चंडीगढ़ स्थित पीजीआईएमईआर के निदेशक को पीड़ित याचिकाकर्ता की जाँच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने का भी आदेश दिया है।
मेडिकल जाँच में यह बात पता लगाई जाएगी कि पीड़ित को शारीरिक रूप से यातना या प्रताड़ना दी गई थी या नहीं। दरअसल, पीड़ित याचिकाकर्ता ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसकी गिरफ्तारी और उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की माँग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उसने याचिका में संविधान के अनुच्छेद 226 का हवाला दिया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया है कि 7 अप्रैल की शाम करीब 7 बजे याचिकाकर्ता को गुरुद्वारे के बाहर से अगवा कर सनेटा पुलिस स्टेशन में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया। वहाँ उसे बर्बर यातना दी गई। उसे बिजली के झटके दिए गए और नग्न अवस्था में वीडियो बनाकर वायरल किया गया। न्यायमूर्ति कीर्ति सिंह ने इन आरोपों को ‘घोर कदाचार’ बताते हुए निष्पक्ष जाँच का आदेश दिया है।