राजस्थान हाई कोर्ट में एक शख्स ने एक महिला के बंदी प्रत्यक्षीकरण को लेकर याचिका दायर की। उसने दावा किया कि महिला को उसके ससुराल वालों ने बंधक बना कर रखा है और उसको प्रताड़ित करते हैं। उसने दावा किया कि वह पहले महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहता था।
कोर्ट में सुनवाई के बाद सामने आया कि यह महिला उसकी सगी बहन है। इसके बाद हाई कोर्ट ने उसे कोई राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उसे अपनी बहन के साथ ही लिव इन रिलेशनशिप की अनुमति नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट ने इसे समाज में अनैतिकता बढ़ाने वाला करार दिया है।
हाई कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी और ₹10 हजार का जुर्माना भी ठोंक दिया। जुर्माने की यह राशि जोधपुर के एक नेत्रहीन संस्थान को दिए जाएँगे।