सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट को जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने उनकी आजीवान कारावास की सजा को निलंबित करने की माँग को भी स्वीकार नहीं किया है। बता दें कि संजीव भट्ट 1990 के कस्टोडियल डेथ केस में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
मंगलवार (29 अप्रैल 2025) को पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट द्वारा दायर याचिका पर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई की। बेंच ने कहा कि इस मामले में जमानत या सजा निलंबन की याचिका में कोई दम नहीं है। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत संजीव भट्ट को जमानत देने के पक्ष में नहीं हैं।
गौरतलब है कि 1990 में ASP के पद पर तैनात संजीव भट्ट ने सांप्रदायिक दंगा भड़कने के बाद TADA के तहत लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें प्रभुदास वैष्णानी नाम के व्यक्ति मौत हो गई थी। वैष्नानी के परिजनों ने संजीव भट्ट के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था।
इस मामले में जामनगर की एक सत्र अदालत ने संजीव भट्ट और एक अन्य पुलिसकर्मी को दोषी हिरासत ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।