सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश अंबानी और उनके परिवार को मिली Z+ सिक्योरिटी पर बार-बार सवाल उठाने वाले एक याचिकाकर्ता विकास साहा को जमकर फटकारा है।
कोर्ट ने साफ कहा कि सुरक्षा देना सरकार का काम है, चाहे वह नेता हो या कारोबारी। जस्टिस पीके मिश्रा और मनमोहन की बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि किसे कितनी सुरक्षा मिलनी चाहिए।
जस्टिस मनमोहन ने सीधे सवाल किया, “धमकी का आँकलन करने वाले आप कौन होते हैं? अगर कोई हादसा होता है तो सरकार इसका फैसला करेगी?” कोर्ट ने चेतावनी दी कि यह बहुत गंभीर मामला है और इसे मज़ाक न समझें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले भी इस मामले को खारिज किया जा चुका है क्योंकि याचिकाकर्ता के पास इस मामले में सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने याचिका को ‘फिजूल और परेशान करने वाली’ बताया और कहा कि सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के आधार पर ही सुरक्षा दी जाती है।