सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (25 नवम्बर, 2024) को संविधान की प्रस्तावना में ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द जोड़े जाने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ने कहा कि इस काम को हुए काफी साल हो गए, अब इस मसले को क्यों उठाना।
यह फैसला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद की संविधान में संशोधन में करने की शक्तियाँ प्रस्तावना को संशोधित करने का अधिकार भी देती हैं। इस मामले में फैसला 22 नवम्बर, 2025 को सुरक्षित रख लिया था।
यह याचिकाएँ भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय और सुब्रमण्यम स्वामी ने लगाई थी। गौरतलब है कि संविधान की मूल प्रस्तावना में ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द नहीं थे। इन दोनों शब्दों को इंदिरा गाँधी सरकार ने 1976 में आपातकाल के दौर में जोड़ा था। इन पर लगातार बहस होती आई है।