Thursday, February 27, 2025

मानसिक तौर पर दिव्यांग नाबालिग को मौलवी ने बनाया मुस्लिम, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत: हाई कोर्ट को फटकारा, कहा- अवैध धर्मांतरण इतना गंभीर अपराध नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे मौलवी को जमानत दी है, जिसे मानसिक तौर पर दिव्यांग नाबालिग का धर्मांतरण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले मौलवी सैयद शाद काजमी उर्फ मोहम्मद शाद को निचली अदालत एवं हाई कोर्ट ने राहत देने से इनकार किया था। इसके लिए हाई कोर्ट को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अवैध धर्मांतरण इतना गंभीर आरोप नहीं है कि उसमें जमानत नहीं दी जा सके।

मौलवी को उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत गिरफ्तार किया गया था। उस पर बच्चे को मदरसे में रखकर जबरन मुस्लिम बनाने का आरोप है। लेकिन आरोपित का कहना था कि नाबालिग को उसके माता-पिता ने बेसहारा छोड़ दिया था। उसने उसे आश्रय दिया। साथ ही वह इस मामले में 11 महीने हिरासत में बिता चुका है, जबकि मुकदमा अभी भी अधूरा है।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने मौलवी को जमानत देते हुए कहा कि निचली अदालतें जमानत देने का साहस नहीं जुटा पाती हैं। लेकिन हाई कोर्ट से साहस की अपेक्षा की जाती है। उम्मीद की जाती है कि कम गंभीर अपराधों में जमानत देने के लिए वह अपने विवेक का इस्तेमाल करें। पीठ ने यह भी कहा कि यदि हत्या, डकैती, बलात्कार जैसे अपराध न हो तो जमानत की याचिका आदर्श स्थिति में सुप्रीम कोर्ट तक नहीं आनी चाहिए।