सुप्रीम कोर्ट 12 दिसंबर को शाम 3.30 बजे पूजास्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। साल 2020 में अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की विशेष पीठ इस पर सुनवाई करेगी।
पूजास्थल अधिनियम 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह कानून मनमाना और अनुचित है। यह धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। इसकी वजह से भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। उपाध्याय के अलावा, विश्वभद्र पुजारी पुरोहित महासंघ और सुब्रमण्यम स्वामी ने भी याचिका दाखिल की है।
अश्विनी उपाध्याय की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने साल 2021 में केंद्र सरकार को नोटिस देकर जवाब माँगा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए कई बार समय विस्तार दिया। हालाँकि, केंद्र सरकार ने अभी तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। कोर्ट ने 11 जुलाई 2023 को केंद्र सरकार से 31 अक्टूबर 2023 तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था।