मंदिर को ओपन स्पेस रिजर्वेशन यानी ओएसआर क्षेत्र में बगैर परमिशन के बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्जवल भुयान और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने ये फैसला लिया है। ये याचिका विस्तारा वेलफेयर एसोसिएशन ने दायर किया था। एसोसिएशन के वकील शेषाद्रि नायडू ने कहा कि कोर्ट ने पक्षों को बगैर सुने ही आदेश जारी कर दिया।
इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अपार्टमेंट ऑनर एसोसिएशन किसी को भी लाइसेंस या मंदिर बनाने के लिए ओएसआर की जमीन नहीं दे सकता। मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एसएम सुब्रह्मण्यम ने मंदिर तोड़ने का आदेश जारी करते हुए कहा था कि तमिलनाडु टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट, 1971 के तहत ओएसआर जमीन को खुला ही रखना है और इसके लिए 4 सप्ताह का वक्त दिया था