परिजनों के अनुसार 4 हमलावर थे जिनकी उम्र लगभग 15 वर्ष थी। वे सिर पर कैमरा लगा कर आए थे। गोलीबारी के साथ-साथ आतंकी पीड़ितों की तस्वीरें और वीडियो भी बना रहे थे। आतंकियों ने लोगों से उनके नाम और धर्म पूछे और फिर उन्हें कलमा पढ़ने के लिए कहा। उन्होंने पहचान के लिए लोगों के कपड़े उतरवाए। ऑस्टिन ने अपनी आँखों के सामने छह लोगों को मरते हुए देखा।
जेनिफर बताती है कि उनके पति से ईसाई होने की पहचान सामने आने पर पूछा कि फिलिस्तीन के बारे में जानते हो ना? इसके बाद गोली मार दी। जेनिफर चीखना चाहती थी। वे अपने पति के पास जाकर उन्हें गले लगाना चाहती थी लेकिन हिल नहीं पाई।
जेनिफर बताती हैं कि वे अपनी आँखे बंद कर और सांस रोक कर लेटी हुई थी। इतने में एक आतंकी उन्हें लात मार कर चेक करता है कि वे जिंदा है या मर गई। लेकिन वे हिली नही।