कलकत्ता हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले सुनवाई के दौरान विवादित टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि नशे की हालत में नाबालिग के स्तन छूने की कोशिश करना POCSO Act के तहत दुष्कर्म का प्रयास नहीं है। यह सिर्फ यौन अपराध की श्रेणी में आता है।
दरअसल, जस्टिस अरिजीत बनर्जी और जस्टिस बिस्वरूप चौधरी की बेंच ने यह टिप्पणी की। बेंच ने POCSO के तहत एक आरोपित को दोषी ठहराने और सजा सुनाए जाने के आदेश को निलंबित कर दिया। ट्रायल कोर्ट ने आरोपित को 12 साल की सजा सुनाई थी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की मेडिकल जाँच से स्पष्ट नहीं होता कि आरोपित ने दुष्कर्म या दुष्कर्म करने का प्रयास किया। फैसला सुनाते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को जमानत दे दी। साथ ही जुर्माना अदा करने पर भी रोक लगा दी।
बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से भी दुष्कर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था।