उत्तर प्रदेश के हाथरस में 145 बंदरों की मौत हो गई और उन्हें चुपचाप दफना दिया गया। पुलिस का कहना है कि एक खाद्य गोदाम में छिड़के गए कीटनाशक के कारण इन बंदरों की मौत हुई है और उन्हें एक गड्ढे में दफना दिया गया। पशु चिकित्सकों की टीम ने दफनाए गए बंदरों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए बाहर निकाला है। पुलिस ने FCI कर्मचारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस के अनुसार, 7 नवंबर को खाद्यान्नों को कीड़ों और चूहों से बचाने से बचाने के लिए एल्युमीनियम फॉस्फाइड (सल्फास की गोलियाँ) का गेहूँ की बोरियों पर रखा गया था। उसी रात टूटी खिड़की से बंदरों का एक झुंड गोदाम घुस गया। इसके बाद इन्हें खाकर उनकी मौत हो गई। कर्मचारियों ने 9 नवंबर को गोदाम खोला तो उन्हें मरे हुए बंदर मिले। इन लोगों के अपने अधिकारियों को बताए बिना बंदरों को दफना दिया।
इसकी जानकारी विश्व हिंदू परिषद को 20 नवंबर को मिली तो उन्होंने हंगामा किया। इसके बाद 22 नवंबर को सड़े-गले शवों का पोस्टमार्टम किया गया। वहीं, हाथरस में इन बंदरों की आत्मा की शांति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया था। इस मामले में FCI की टीम ने गोदाम के प्रबंधक नीरज शर्मा और गुणवत्ता प्रबंधक बाबूलाल मीणा सहित 10 अधिकारियों-कर्मचारियों से दो घंटे तक पूछताछ की है।