Saturday, April 20, 2024
Homeविचारमीडिया हलचलफ़ेक न्यूज़ का भस्मासुर अब नियंत्रण से बाहर हो चुका है

फ़ेक न्यूज़ का भस्मासुर अब नियंत्रण से बाहर हो चुका है

जिस फ़ेक न्यूज़ को मीडिया ने ही शुरू किया हो उसका इल्ज़ाम किसी और पर थोपना कौन सी बड़ी बात है? हाँ ये जरूर कहा जा सकता है कि जिस भस्मासुर को उन्होंने पैदा किया वो अब उनके नियंत्रण से बाहर हो गया है।

सर्फ़ कहते ही आपको “दाग अच्छे हैं” याद आ जायेगा, या इसका उल्टा “जस्ट डू इट” कहते ही आपको Nike की याद आ जाती है। इस चीज़ को टैगलाइन कहते हैं। कंपनी अपने प्रचार के लिए बड़ी मेहनत से टैगलाइन बनवाती है, प्रचार की कंपनी में ऐसे टैगलाइन लिखने वालों को कॉपी राइटर कहते हैं।

इस टैगलाइन नाम की प्रचार की विधा पर 1980 के आस पास अख़बार वालों का ध्यान चला गया तो उन्होंने इसकी सस्ती नक़ल कर ली। जिसे काफी पढ़ाई कर के, लिखने की काफी प्रैक्टिस कर के सीखा जाता है उसे मीडिया हाउस में बिना सोचे टीआरपी के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।

सन 1980 के ज़माने में ऐसा नहीं होता था। अप्रैल 15, 1983 को न्यूयॉर्क टाइम्स में एक बार मालिक की हत्या की खबर छपी तो हेडलाइन थी: “Owner of a Bar Shot to Death; Suspect is Held”, और इसी दिन एक दूसरे अख़बार न्यूयॉर्क पोस्ट में यही खबर आई तो उसमें हेडलाइन थी “Headless body in Topless Bar”।

ख़बर कुछ यूँ थी की कुईन्स नाम की जगह पर एक हथियारबंद व्यक्ति ने बार मालिक की हत्या कर दी थी और बार के ही एक बंधक से जबरन उसका सर कटवा लिया था। दूसरे अख़बारों ने जहाँ टॉपलेस बार और सर काटने कि बातों का फायदा नहीं उठाया वहीँ इस एक हैडलाइन ने न्यूयॉर्क पोस्ट को चमका दिया। नैतिकता और ज़िम्मेदारी जैसी उबाऊ बातें फिर किसे याद रहती? इस तरह से हैडलाइन को “क्रांतिकारी” बनाने की विधा शुरू हुई।

आगे जब न्यूयॉर्क के मेयर ने पार्कों और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट पीने पर पाबन्दी लगाने की मुहिम शुरू की तो लिखा गया: “कोच किक्स बट” (Koch kicks Butt)। “बट” का एक मतलब सिगरेट पीने के बाद बची हुई टोंटी भी होती है। गद्दाफी की पत्नी ने उस पायलट को मार देने की कसम खाई थी जिसने उनके बंगले पर बम गिराया था। कैमरे पर बोलते वक्त उस लड़की ने केप पहना था तो अख़बार में आया “कर्स ऑफ़ द केपवुमन” (Curse of the Capewoman)!

जब 1984 में वेल्मा बारफील्ड (Margie Velma Barfield) को मौत की सजा हुई तो वो अपने सोने जाने वाले कपड़ों में मौत का इंजेक्शन लेने गई। अखबार ने लिखा “ग्रेन्नी एग्जीक्यूटेड इन हर पिंक पजामाज़” (Granny Executed in Her Pink Pajamas)। प्रदूषित तीतरों के लिए हैडलाइन थी “बिग फ्लैप ओवर फ़ाउल टर्कीज़” (Big Flap over Foul Turkeys)। अपने समय में विन्सेंट ने ऐसी ही जाने कितनी भड़काऊ हैडलाइन लिखी। उनकी नकल में उतरे भारतीय सरस्वती चंदरों ने टीआरपी के लिए ऐसी हेडलाइन लिखनी शुरू की जिनका मुख्य खबर से कोई लेना देना ही नहीं होता।

इंडिया टुडे जैसे प्रकाशनों से शुरू हुई ये व्यवस्था प्रचलित अखबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में आई। अब तो इसमें द हिन्दू, जनसत्ता और इंडियन एक्सप्रेस जैसे तथाकथित विचारधारा वाले अखबार भी शामिल हैं। जून 2015 में, कैंसर की वजह से न्यूयॉर्क में 74 वर्षीय विन्सेंट मुसेट्टो की मौत हो गई। हमारे टीआरपी खोर मीडियाकर्मियों ने भड़काऊ हैडलाइन के जनक को श्रद्धांजलि दी या नहीं पता नहीं। हाँ ये जरूर है कि जहाँ ऊपर कुछ और लगे लेकिन असली मसला कुछ और उसे “फ़ेक न्यूज़” का नाम जरूर दे दिया गया है।

ऐसे मौकों पर रामधारी सिंह “दिनकर” की कर्ण के मुँह से कहलवाई कुछ पंक्तियाँ जरूर याद आती हैं –
“वृथा है पूछना, था दोष किसका?
खुला पहले गरल का कोष किसका?
जहर अब तो सभी का खुल रहा है,
हलाहल से हलाहल धुल रहा है।”

ये एक पुरानी गोएब्बेल्स पद्धति रही है कि अपराध खुद करो लेकिन उसका आरोप विपक्षी पर थोप दो। कई हिंसक विचारधाराओं ने ऐसे गोएब्बेल्स प्रचार का इस्तेमाल हमेशा से अपने पक्ष में किया है। ऐसे में जिस “फ़ेक न्यूज़” को उन्होंने खुद ही शुरू किया हो उसका इल्जाम किसी और पर थोपना उनके लिए कौन सी बड़ी बात होती? हाँ ये जरूर कहा जा सकता है कि जिस भस्मासुर को उन्होंने पैदा किया वो अब उनके नियंत्रण से बाहर हो गया है।

बाकी ऐसे में सवाल ये बनता है कि ज्यादा दिक्कत किस बात से है? न्यूज़ के फ़ेक हो जाने से या उस फ़ेक न्यूज़ के तुम्हारे नियंत्रण में न रह जाने से? बताओ न कॉमरेड, बताओ बताओ!

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

Anand Kumar
Anand Kumarhttp://www.baklol.co
Tread cautiously, here sentiments may get hurt!

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘PM मोदी की गारंटी पर देश को भरोसा, संविधान में बदलाव का कोई इरादा नहीं’: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- ‘सेक्युलर’ शब्द हटाने...

अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी ने जीएसटी लागू की, 370 खत्म की, राममंदिर का उद्घाटन हुआ, ट्रिपल तलाक खत्म हुआ, वन रैंक वन पेंशन लागू की।

लोकसभा चुनाव 2024: पहले चरण में 60+ प्रतिशत मतदान, हिंसा के बीच सबसे अधिक 77.57% बंगाल में वोटिंग, 1625 प्रत्याशियों की किस्मत EVM में...

पहले चरण के मतदान में राज्यों के हिसाब से 102 सीटों पर शाम 7 बजे तक कुल 60.03% मतदान हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश में 57.61 प्रतिशत, उत्तराखंड में 53.64 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe