मुताह निकाह: ‘कुछ दिन के मजे’ वाली मजहबी संस्कृति के नाम पर ‘अमीना-शबानाओं’ का उत्पीड़न

शादी के नाम पर लड़कियों के भविष्य से ये खिलवाड़ बंद क्यों नहीं होता? (प्रतीकात्मक चित्र)

क्या आपको अमीना याद है? हैदराबाद आज दूसरी वजहों से चर्चा में है। उस 1990 के दशक के शुरुआती दौर में ये दूसरी वजहों से चर्चा में था। घटना एक एयरोप्लेन में घटी थी। हमेशा की तरह हैदराबाद से दिल्ली जाने वाली उस फ्लाइट में उस दिन अरबियों वाला साफा पहने एक व्यक्ति के साथ कोई बुर्कानशीं थीं। ये कोई अनोखी बात नहीं थी, अनोखा ये था कि वो लगातार रोए जा रही थी। एयरहोस्टेस अमृता अहलुवालिया को उसकी आवाज और लगातार रोते रहने पर कुछ शक हुआ। विमान के आगे के तरफ बाथरूम था और वहाँ वो बुर्कानशीं को चेहरा वगैरह धुलवाने ले गई।

नकाब हटते ही अमृता अहलुवालिया चौंक पड़ी! जिसे वो इतनी देर से बूढ़े अरबी शेख की बेगम समझ रही थी, वो मुश्किल से दस साल की कोई बच्ची थी। पूछने पर बच्ची ने बताया कि उसका नाम अमीना है और वो दस साल की ही है। उसकी बड़ी बहन बूढ़े शेख को काली और बदसूरत लगी थी, इसलिए वो उसे निकाह करके अपने साथ सऊदी लिए जा रहा था जबकि अमीना आगे पढ़ाई करना चाहती थी, उसे बूढ़े अरबी से निकाह नहीं करना था। अमृता अहलुवालिया ने ये बात पायलट को बताई, पायलट ने दिल्ली एअरपोर्ट पर खबर की और बूढ़े शेख को वहीं रोक लिया गया। बूढ़ा शेख चीख-चीख कर निकाहनामे के कागज़ दिखाता रहा लेकिन उसे और अमीना को रोक लिया गया।

अदालती कार्रवाई में बाद में पता चला कि वो बूढ़ा अरबीराव शेख साठ साल का याहया एमएच अल सगिह था जो हैदराबाद में बेगम खरीदने गया था। उसने लड़की के बदले उसके बाप बदरुद्दीन को 6 हजार रूपए दिए थे और 4 हजार रूपए बाद में देने की बात थी। उस दौर में प्रधानमंत्री नरसिम्हा ने भी मुक़दमे की लगातार सूचना देते रहने को कहा था। बाद में सब अमीना को भूल गए। उसे वक्फ बोर्ड या कहीं से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली। उसने बाद में निकाह किया और मुर्शिदाबाद में रहने लगी।

इस किस्म के तथाकथित निकाह, जिसमें अमीर शेख गरीब मोहम्मडन लड़कियों को खरीदकर ले जाते हैं, का नतीजा अच्छा नहीं होता। इनमें से अधिकतर लड़कियाँ कुछ ही वर्षों में दोबारा कहीं और बेच दी जाती हैं। इस तरह के मुताह निकाह करने वाले लगातार तब से अब तक पकड़े जाते रहे हैं।

इन सब से ये घटनाएँ थमी हों, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। कम उम्र की लड़कियों की शादी को अगर आप अपराध मान रहे हैं तो जरा ठहरिए! अट्ठारह वर्ष से कम उम्र की लड़की की शादी करना मोहम्मडन के लिए कोई जुर्म नहीं होगा। कानून सभी के लिए एक जैसा नहीं चलता।

हादिया उर्फ़ अखिला अशोकन के शफिन जहान से निकाह के मामले में केरल हाई कोर्ट के फैसले को पलटकर सर्वोच्च न्यायलय ने ये फैसला दिया था कि अट्ठारह से पहले भी मोहम्मडन हो जाने पर, लड़की अपने पति के साथ रह सकती है।

इस शफिन जहान और अशोकन के मामले को इस्तेमाल करते हुए दूसरी लड़की जिसे मुहम्मडेन पति के साथ रहने की इजाजत नहीं मिल रही थी वो भी सर्वोच्च न्यायलय पहुँची।

इस किस्म के कॉन्ट्रैक्ट मैरिज में अक्सर लड़की से एक कोरे कागज़ पर दस्तखत भी करवा लिए जाते हैं ताकि मुल्क छोड़ते वक्त उनका बूढ़ा अरबी शेख पति उन्हें तलाक भी दे सके। आम लोगों को जब ऐसा करवाने वाले मौलानाओं का पता चलता है तो अक्सर भीड़ उनके अड्डे पर तोड़-फोड़ भी करती है। पुलिस भी मानती है कि ऐसी शादियाँ कोई शादी नहीं होती बल्कि कुछ दिन के मजे लेने के लिए की जाती हैं।

ऐसा माना जाता है कि इस्लामी कानूनों के हिसाब से ऐसे निकाह हराम हैं लेकिन कुछ मक्कार मौलाना कानूनों को तोड़ मरोड़ कर ऐसा करते रहते हैं। हैदराबाद में ऐसे मामलों के लिए सरकार की तरफ से 18 काज़ी नियुक्त किए गए थे, जिनके नीचे कुछ और काजी होते हैं।

वक्फ बोर्ड का मानना है कि ऐसा होता है और वो विदेशियों से होने वाले निकाह के मामलों पर कड़ी नजर रखने की हिदायत भी देते हैं लेकिन ओमान और सऊदी अरब के अलावा बाकी जगहों के लोगों के लिए उतनी सख्त पाबन्दी नहीं है। 2004 में ही इसके लिए शोर मचने पर कई दिशानिर्देश भी वक्फ बोर्ड ने जारी किए थे।

इन सब के वाबजूद इस किस्म की घटनाएँ होती रहती हैं। कभी वो बच्ची अमीना थी, कभी शबाना, आलिया, रुखसाना या कोई और हो जाएगी। सवाल ये है कि शादी के नाम पर लड़कियों के भविष्य से ये खिलवाड़ बंद क्यों नहीं होता? हम अपने कानून सुधारेंगे कब?

Anand Kumar: Tread cautiously, here sentiments may get hurt!