3 घंटे तक तड़पी शोएब-पांडे-पटेल की माँ, नोएडा में मर गए सबके नाना: कोरोना से भी भयंकर है यह ‘महामारी’

कोरोना से भी भयंकर है यह 'महामारी'

आपदा हो या त्योहार, अवसर लेकर आते हैं। पिछले एक वर्ष से चीन से चलकर दुनिया भर में किसी नए धर्म की भाँति फैलने वाली महामारी भी अवसर लेकर आई है। लोग अपनी-अपनी औकात के अनुसार अवसर निकाल ले रहे हैं।

किसी के लिए सेवा करके पुण्य कमाने का अवसर है तो किसी के लिए दवाइयाँ और इंजेक्शन पाँच गुने दामों पर बेच कर पैसे कमाने का। किसी अस्पताल के किसी कर्मचारी के लिए मरीज के शरीर से गहने उतार कर धनी बन जाने का अवसर है तो किसी के लिए दिन रात काम करके मानवता के लिए नए आविष्कार करने का अवसर है।

सब अपने-अपने अवसर तलाश कर कुछ न कुछ कर डाल रहे हैं पर इस आपदा में सबसे बड़े अवसरवादी वे हैं जिन्हें यह विश्वास है कि उनके लिए सत्ता पाने का राष्ट्रीय राजमार्ग सोशल मीडिया की जमीन से होकर गुजरता है।

अब इसका असर यह हुआ है कि ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ऐसा कोई प्लेटफॉर्म नहीं है, जहाँ इन प्रोपगैंडाबाजों ने कहर न ढाया हो। बिना नाम और पते वालों द्वारा बेड से लेकर ऑक्सीजन माँगने तक का सीरियल प्रोपगैंडा जगह-जगह बिखरा पड़ा है। कोई 2018 की मणिकर्णिका घाट की तस्वीर लगाकर बता रहा है कि लाशें ही लाशें जल रही हैं। पत्रकारों के साथ-साथ बोट्स को भी लाशों से इतना लगाव हो चला है कि वे भी लाशों वाले ट्वीट रीट्वीट किए जा रहे हैं।

ये ऊपर लगे स्क्रीनशॉट के दर्शन करें, जिसमें पटेल, पांडेय, वर्मा, शोएब सबकी माँ तीन घंटे तक लगातार तड़पी और फिर छोड़कर चली गई। स्क्रीनशॉट देखने के बाद लोगों ने अनुमान लगाना शुरू किया कि सबकी माँ एक ही थी या अलग-अलग थी। यदि अलग-अलग थी तो क्या इन्हें चीनी वाइरस के किसी खास प्रकार के वेरिएंट ने संक्रमित किया, जिसमें मरीज तीन घंटे तड़पता है?

एक और स्क्रीनशॉट देखा जिसमें पता चला कि स्वाति मालीवाल के नानाजी का जब नोएडा के शारदा अस्पताल में आधे घंटे तक एडमिशन नहीं मिला तो उनका देहांत हो गया। स्वाति जी के नानाजी के देहांत की खबर जैसे ही फैली एडाल्फ हिट्लर, कल्पना मीना और वेंकट आर के नानाजी लोग भी नोएडा के उसी अस्पताल में पहुँचे ताकि आधे घंटे तक एडमिशन का इंतजार करें और एडमिशन न मिलने पर मर सकें।

इधर इस स्क्रीनशॉट के भी दर्शन हुए जिसमें AIIMS में काम करने वाली डॉक्टर बहन जी लोगों ने बताया कि कैसे वे अस्पताल में बीस दिन से लगातार काम कर रही हैं और इसकी वजह से तीनों चीनी वारस से संक्रमित हो गई हैं। पर ये सारी समस्या नहीं है। दरअसल असली समस्या यह है कि इन तीनों की एक-एक बेटी है और संयोग देखिए कि तीनों बेटियाँ भी दो-दो वर्ष की हैं। इन डॉक्टर बहन जी लोगों ने फ़िल्मी डॉक्टरों की तरह ही लोगों से (विनोद) दुआ करने की अपील की है।

चीनी वाइरस द्वारा फैलाई गई इस महामारी में सोशल मीडिया पर प्रोपगैंडा कोई नई बात नहीं है। पिछले वर्ष लगभग इसी समय हरियाणा के अस्पताल में तथाकथित रूप से कार्यरत एक महिला डॉक्टर ने मास्क और ज़रूरी उपकरणों की कमी का फ़र्ज़ी हाफा पीटा था और जब लोगों ने सवाल करना शुरू किया तो अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट कर गई थी। इस तरह से आपदा में अवसर खोजने वालों की संख्या दूसरी लहर के समय बहुत है।

पिछले वर्ष चलाए गए प्रोपगैंडा के तत्व अलग थे। इस वर्ष पिछले वर्ष से बिलकुल अलग हैं। लोग माँ से लेकर नाना और नानी तक को मारने में नहीं हिचक रहे हैं। एक समय था जब कहानियों में राज पाने के लिए जानवरों की क़ुर्बानी देने के किस्से लिखे जाते थे। अब समय अलग है। अब राज पाने के लिए काल्पनिक माँ, नाना, नानी, बाप वग़ैरह को मार दिया जा रहा है। यह बात अलग है कि काल्पनिक क़ुर्बानियों से राज भी सोशल मीडियाटिक और काल्पनिक ही मिलेगा।