‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ पर भड़के ओवैसी, कहा- ‘तीन तलाक कानून असंवैधानिक, मुसलमानों को बदनाम करता है’

तीन तलाक कानून के वर्षगाँठ पर ओवैसी ने केंद्र सरकार को घेरा

तीन तलाक कानून के दो साल पूरे होने पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार रविवार (अगस्त 1, 2021) को ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ ( Muslim Women’s Rights Day ) मना रही है। 1 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने तीन तलाक (Triple Talaq) को कानूनी अपराध घोषित किया था। इस दौरान AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक कानून को लेकर मोदी सरकार पर कटाक्ष किया है। ओवैसी ने कहा कि इस कानून से मुस्लिम महिलाओं का और अधिक शोषण होगा और उनकी समस्याओं में इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि इससे जुड़े केवल मामले दर्ज किए जाएँगे और कोई न्याय नहीं दिया जाएगा। मुसलमानों ने इस आधार को स्वीकार नहीं किया है। 

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‘यह कानून (तीन तलाक) असंवैधानिक है’

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह कानून (तीन तलाक) असंवैधानिक है और इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। यह समानता के खिलाफ है, मुसलमानों को बदनाम करता है। ओवैसी ने पूछा कि क्या मोदी सरकार केवल मुस्लिम महिला (अधिकार) दिवस मनाएगी? हिंदू, दलित और ओबीसी महिलाओं के सशक्तिकरण के बारे में क्या? 

वहीं ओवैसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, “सरकार आज ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ मना रही है। मोदी मुस्लिम खवातीन से हमदर्दी का ढोंग कर रहे हैं। मोदी जी, 7 साल से मुस्लिम खवातीन अपने अधिकारों के लिए लड़ रही है। इस ‘दिवस’ के बहाने ही सही, आपको इनकी बातें सुननी चाहिए।”

बता दें कि इससे पहले केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि एक अगस्त को मुस्लिम महिला अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाएगा। नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 1 अगस्त 2019 के दिन तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को कानूनी अपराध घोषित किया था। 

नकवी के अनुसार, तीन तलाक के कानूनी अपराध बनाए जाने के बाद बड़े पैमाने पर तीन तलाक की घटनाओं में कमी आई है। देश भर की मुस्लिम महिलाओं ने इसका स्वागत किया है। 1 अगस्त को देश भर में विभिन्न संगठनों द्वारा मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाया जाएगा।

गौरतलब है कि लोकसभा में 25 जुलाई 2019 को दिन भर चली चर्चा के बाद बहुप्रतिक्षित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक यानी तीन तलाक पर रोक सम्बन्धी बिल पास हो गया था। मत विभाजन के दौरान पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े थे। बिल में संशोधन के लिए विपक्षी दलों के तरफ से लाए गए प्रस्ताव भी ख़ारिज हो गए थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया