नए आरक्षण बिल के आ जाने के बाद विरोधियों में हड़कंप मचा हुआ है। ऐसी स्थिति में संसद सभा में गरीब सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देने के ऊपर बहुत देर तक बहस हुई। गरमाई हुई इस चर्चा के दौरान सपा के नेता रामगोपाल यादव और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बीच काफ़ी बड़ी बहस देखने को मिली।
इस बहस ने उस समय और भी ज्यादा तीखा रूप ले लिया जब सपा के नेता रामगोपाल यादव ने बीजेपी सरकार द्वारा लाए आरक्षण बिल को बेमतलब का बताया और कहा कि इस बिल का कोई भी फ़ायदा नहीं है। जिसके बाद अपनी पार्टी के इस ऐतिहासिक कदम के समर्थन में अमित शाह ने रामगोपाल को मुस्लिम आरक्षण की याद दिला दी।
दरअसल, संसद में सामान्य वर्ग को मिलने मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण पर चर्चा करते हुए रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार बिल ला रही है उससे कोई लाभ नहीं होने वाला है, उनका कहना है कि सरकार जिन गरीबों को आरक्षण देने की बात कहकर बिल लाई है, उन्हें लाभ नहीं मिलेगा।
अपनी इस बात पर रामगोपाल ने अपना आगे मत रखते हुए कहा, “उन लड़को की जब मेरिट आएगी तो वो को काफी ऊपर रहेगी। इसका मतलब है कि आप लोगों ने जो मेरिट का आँकड़ा था वो आपने छोटा कर दिया, आपने मेरिट को शॉर्ट कट कर दिया और संख्या को बढ़ा दिया। एक साल बाद आपको असर दिखने लगेगा।”
रामगोपाल यादव की इसी बात पर उन्हें बीच में रोककर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, “आप मेरिट की बात कर रहे हैं लेकिन जब आप मुस्लिम आरक्षण लाए, तब क्या मेरिट की संख्या कम नहीं हुई? आप तो मुस्लिम आरक्षण ले आए, तो मेरिट के बच्चों का क्या होगा, आप अपना 2012 का मेनिफेस्टो देख लीजिए।”
इस गर्मा-गर्मी के दौरान रामगोपाल ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार यह बिल कभी भी ला सकती थी, लेकिन भाजपा सरकार का लक्ष्य आर्थिक रूप से गरीब सवर्ण की स्थिति सुधारना नहीं बल्कि 2019 का चुनाव है। उनका कहना है कि अगर बीजेपी के दिल में ईमानदारी होती तो 3 या 4 साल पहले यह बिल आ चुका होता।