कॉन्ग्रेस छोड़ रहे हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया! ट्विटर पर बॉयो बदल कयासों को दी हवा

ज्योतिरादित्य सिंधिया अब केवल "लोक सेवक"

महाराष्ट्र में जारी सियासी ड्रामे के बीच मध्य प्रदेश की पॉलिटिक्स में भी हलचल की खबरें आ रही है। कॉन्ग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने की अटकलें फिर से तेज हो गई है। इसकी वजह बनी है सिंधिया द्वारा अपने ट्विटर बॉयो में किए गए कुछ बदलाव।

सिंधिया का ट्विटर बॉयो अब केवल “लोक सेवक, क्रिकेट में दिलचस्पी रखने वाला” है।

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दिलचस्प बात यह है कि उनके नए ट्विटर बायो में, इस बात का कोई संकेत नहीं है कि वो कॉन्ग्रेस का हिस्सा हैं। उस कॉन्ग्रेस का जिसकी कमलनाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में सरकार चल रही है।

इससे पहले, उनके प्रोफाइल में गुना से 2002-2019 तक सांसद रहने का जिक्र था। साथ ही उन महकमों का भी जिक्र था जिसकी जिम्मेदारी मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान उन्होंने सॅंभाली थी।

सिंधिया के पहले के ट्विटर बॉयो में लिखा था कि वह 2002 से 2019 तक गुना के पूर्व सांसद थे। यह भी लिखा था कि वे पूर्व ऊर्जा मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय और MoS कम्युनिकेशन्स, IT विभाग के मंत्री थे।

सिंधिया ने अब बॉयो से इन जानकारियों का हटा दिया है। इससे पता ही नहीं चलता कि वे कॉन्ग्रेस से जुड़े हुए हैं। शायद वे अपने अतीत से पीछा छुड़ाना चाहते हों! हालॉंकि सिंधिया ने एएनआई को बताया है कि ट्विटर बॉयो में बदलाव उन्होंने एक महीने पहले ही किया था। उनके मुताबिक बॉयो को संक्षिप्त रखने के लिए लोगों की सलाह पर ऐसा किया। इस संबंध में लग रही अटकलों को उन्होंने खारिज किया है।

बावजूद इसके कयास लगाए जा रहे हैं कि मध्य प्रदेश में कहीं कोई सियासी भूचाल तो नहीं आने वाला। मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस तीन खेमों में बॅंटी है। एक गुट मुख्यमंत्री कमलनाथ का, दूसरा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का और तीसरा सिंधिया का है। कमलनाथ और सिंधिया गुट के मतभेद तब भी सामने आ गए थे जब विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री चुना जाना था। इसके बाद से सिंधिया के समर्थक लगातार उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने को लेकर लॉबिंग कर रहे हैं।

बता दें कि सिंधिया को मध्य प्रदेश राज्य इकाई का अध्यक्ष नहीं बनाए जाने पर उनके समर्थक सामूहिक इस्तीफ़े की धमकी भी दे चुके हैं। मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष का पद कमलनाथ के इस्तीफ़े के बाद खाली हो गया था। उस समय, भले ही सिंधिया ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था, लेकिन ऐसी ख़बरें सामने आईं थीं कि उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को ‘अल्टीमेटम’ दिया था कि उन्हें राज्य इकाई का प्रमुख बनाया जाना चाहिए, अन्यथा वो अन्य विकल्प के बारे में सोचेंगे। अन्य विकल्प से उनका मतलब ख़ुद पार्टी छोड़ने से था।

सिंधिया के ट्विटर बॉयो बदलने के साथ, इस बात के कयास भी लगाए जा रहे हैं कि कहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कॉन्ग्रेस को तलाक़ देने का फ़ैसला तो नहीं कर लिया है!

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया