महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिश तो सभी दल कर रहे हैं लेकिन अब तक किसी ने भी राज्यपाल के सामने बहुमत के लिए ज़रूरी विधायकों का समर्थन पत्र नहीं सौंपा। इसके बाद राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर दी। इसके साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे मंजूरी दे दी। शिवसेना इस फ़ैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (नवंबर 13, 2019) को सुबह 10.30 बजे इस मामले को लिस्ट किया गया है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस और एनसीपी अब भी शिवसेना को समर्थन देकर सरकार बनाने की जुगत में लगे हैं। सभी दलों में अंदरूनी बैठकों का दौर जारी है।
कॉन्ग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी को कहा है कि अगर महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस सरकार में शामिल होने में विफल रहती है तो राज्य में पार्टी का अस्तित्व ख़त्म हो जाएगा। सोनिया गाँधी शिवसेना के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं लेकिन कोर कमिटी की बैठक में नेताओं के इस रुख के बाद वो थोड़ी नरम पड़ी हैं। अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और बालासाहब थोराट ने सोनिया से कहा कि राजग गठबंधन में फूट पड़ी है और कॉन्ग्रेस को इसका फायदा उठाने में देर नहीं करना चाहिए। उनकी राय है कि भाजपा-शिवसेना के टकराव का पार्टी को पूरा का पूरा फायदा उठाना चाहिए।
इसमें से एक कारण ये भी बताया गया कि महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस के नव-निर्वाचित विधायक सरकार में शामिल होने के लिए बेचैन हैं। चूँकि उन विधायकों ने अपने बलबूते जीत दर्ज की है, ऐसे में वो आक्रामक हो उठे हैं। बता दें कि चुनावों के दौरान राहुल गाँधी ने काफ़ी कम रैली की थी और कॉन्ग्रेस ने सक्रियता भी नहीं दिखाई थी। कॉन्ग्रेस के सभी विधायकों को जयपुर के एक रिसोर्ट में ठहराया गया है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस के दिग्गजों की राय का विरोध किया। एके एंटनी और शिवराज पाटिल- तीनों पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि बाल ठाकरे और शिवसेना जिस तरह से कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करती आई है, उनके साथ सरकार में शामिल होना सही नहीं होगा।
Maharashtra: Leaders of Congress and Nationalist Congress Party (NCP) held a joint meeting today in Mumbai. President’s Rule has been imposed in the state of #Maharashtra. pic.twitter.com/Sf5iQfnxkI
— ANI (@ANI) November 12, 2019
कर्नाटक में कॉन्ग्रेस के प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने कॉन्ग्रेस-जेडीएस गठबंधन की विफलता की बात उठा कर बताया कि महाराष्ट्र में भी ऐसा ही कुछ हो सकता है। मंगलवार की सुबह एंटनी और वेणुगोपाल सोनिया से फिर मिले। महाराष्ट्र में अपने नेताओं के रुख को देखते हुए सोनिया को मजबूरन एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से बात करनी पड़ी, ताकि गठबंधन सरकार की दिशा में योजना बनाई जा सके। हालाँकि, शरद पवार जल्दबाजी में नहीं हैं और उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में पूरी तरह बातचीत कर के ही रूपरेखा तैयार की जाएगी। पवार से बात करने एक लिए तीन कॉन्ग्रेस नेताओं को मुंबई भेजने का फ़ैसला किया गया है।
उधर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता नारायण राणे ने कहा है कि भाजपा जब भी राज्यपाल के पास जाएगी, बहुमत के लिए ज़रूरी विधायकों का समर्थन लेकर जाएगी। उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी नेताओं को ‘काम पर लग जाने’ को कह दिया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या शुवसेना और कॉन्ग्रेस के विधायक भाजपा के संपर्क में हैं, राणे ने कहा कि जब वो राज्यपाल के पास जाएँगे तो खाली हाथ नहीं जाएँगे।